मौज-मस्ती वाले दिन खत्म हुए। अब स्कूल बस के समय के हिसाब से न सिर्फ बच्चे की बल्कि आपकी जिंदगी भी दौड़ेगी, पर क्या बच्चे को दोबारा रूटीन में वापस ला पाना आसान है? व्यक्तित्व के विकास में रूटीन की क्या है अहमियत और कैसे इस मामले में करें बच्चे की मदद, बता रही हैं स्मिता
अगर आपको भी लगता है कि स्कूल लंच में रोज आलू का पराठा या सैंडविच-पास्ता देकर आप उसके पोषण का ध्यान रख रही हैं तो आप गलत हैं। आइए जानते हैं बच्चों की अच्छी ग्रोथ के लिए उनके स्कूल लंच में किन 5 चीजों को देने से बचना चाहिए।
कई बार पेरेंट्स बच्चों की कुछ गलत आदतों को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन पेरेंट्स की यही लापरवाही आगे चलकर ना सिर्फ बच्चे के व्यवहार पर असर डालती है, बल्कि कभी- कभी पूरे परिवार की इज्जत को भी मिट्टी में मिलाने का काम करती है।
Poor Appetite In Kids: बच्चे खासतौर पर एक से पांच साल के बच्चों के पैरेंट्स अक्सर उनके भूख ना लगने की वजह से परेशान रहते हैं। बढ़ती उम्र वाले इन बच्चों में भूख कम लगने या ना लगने के पीछे कई बार ये 7 कारण जिम्मेदार होते हैं।
बेटियाँ अपने माता-पिता से बहुत कुछ कहना चाहती हैं पर कह नहीं पातीं। चलिए जानते हैं ऐसी ही कुछ बातें जो बेटियां चुपचाप सह जाती हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में कभी इसका जिक्र किसी से नहीं करतीं।
Baby Names In Hindi: अगर आप भी अपने राजकुमार के लिए कोई मॉर्डन, मीनिंग फुल और ट्रेंडिंग बेबी नेम पसंद करना चाहते हैं, जो स्टाइलिश लगने के साथ सुनने में भी बेहद क्यूट हो, तो ये बेबी नेम लिस्ट आपकी मदद कर सकती है।
तेज रोशनी और आवाज करने वाले खिलौने अनजाने में ही सही लेकिन अपने बच्चे की दिमागी विकास पर बुरा असर डाल रहे होते हैं। जी हां, बच्चों के डॉक्टर पुनीत आनंद ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करके इस बात की जानकारी शेयर की है।
कई बार पेरेंट्स ये सोचकर बच्चों को अपने पास सुला लेते हैं कि वो अकेले डरेंगे या रोएंगे। एक उम्र तक तो ये ठीक है लेकिन जब ये आदत लंबी चलने लगती है, तो इसके कई दुष्परिणाम सामने आने लगते हैं।
अगर आप भी अपने बच्चे में यह बदलाव महसूस कर रही हैं तो उसे समय रहते इन 3 तरीकों से डील करने की कोशिश करें। ये 3 असरदार टिप्स आपको इस समस्या को बेहतर तरीके से हैंडल करके बच्चे में सुधार लाने में मदद करेंगे।
अगर बचपन से ही बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड किया जाए तो पैरेंट्स और बच्चों के बीच के रिश्ते बहुत गहरे हो सकते हैं। आइए जानते हैं दिन के वो कौन से नौ मिनट हैं, जब पैरेंट्स को बच्चों के साथ जरूर टाइम स्पेंड करना चाहिए।