Hindi Newsलाइफस्टाइल न्यूज़पेरेंट्स गाइडsummer vacation now ends in few days know how to prepare kids daily routine for school

गर्मी की छुट्टियां खत्म हो रहीं, बच्चे को रूटीन में लाने का ये तरीका अपनाएं

मौज-मस्ती वाले दिन खत्म हुए। अब स्कूल बस के समय के हिसाब से न सिर्फ बच्चे की बल्कि आपकी जिंदगी भी दौड़ेगी, पर क्या बच्चे को दोबारा रूटीन में वापस ला पाना आसान है? व्यक्तित्व के विकास में रूटीन की क्या है अहमियत और कैसे इस मामले में करें बच्चे की मदद, बता रही हैं स्मिता

Aparajita हिन्दुस्तानFri, 27 June 2025 03:51 PM
share Share
Follow Us on
गर्मी की छुट्टियां खत्म हो रहीं, बच्चे को रूटीन में लाने का ये तरीका अपनाएं

रूटीन में बदलाव से हर किसी को राहत मिलती है, फिर भला बच्चे इस मामले में अलग क्यों हों। यही वजह है कि बच्चे गर्मी की छुट्टियों को बेसब्री से इंतजार करते हैं। न सुबह छह बजे उठने की बाध्यता और न ही रात में 10 बजते ही सो जाने का फरमान। आम, आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक से लेकर जंक फूड तक के मामले में भी भरपूर छूट। ये सब तो हुई छुट्टी की बातें, पर अब इन्हीं बच्चों की जिंदगी को दोबारा रूटीन में लाने की जरूरत है क्योंकि अगले सप्ताह से स्कूल खुल रहे हैं।

रूटीन में लौटने की चुनौती

जर्नल ऑफ पेरेंटिंग स्टाइल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, छुट्टी के बाद दोबारा रूटीन में वापस आना बच्चे और पेरेंट्स दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। फैमिली एंड लाइफ कोच और मनोचिकित्सक डॉ. दीपिका चौहान बताती हैं, ‘छुट्टी में स्कूल बंद होने पर बच्चों पर सुबह जल्दी जगने और जल्दी सोने का दबाव नहीं होता है। यही वजह है कि स्कूल खुलने पर सुबह जल्दी उठना बच्चों के पूरे सिस्टम को एक झटका देता है। वहीं, छुट्टियों में खाने-पीने का भी कोई निश्चित समय नहीं होता है। बच्चे तरह-तरह की एक्टिविटी और समर कैंप में भी व्यस्त होते हैं। इन कारणों से न सिर्फ बच्चे बल्कि अभिभावकों का रूटीन भी इन दिनों काफी लचीला हो जाता है। मांओं पर भी सुबह जल्दी उठने का दबाव नहीं रहता है। ऐसे में दिनचर्या में अचानक बदलाव मां और बच्चे दोनों को परेशान कर सकता है। लंबे ब्रेक के बाद कई बार कुछ बच्चे दोबारा स्कूल जाने पर उदास और दुखी हो जाते हैं।’

क्यों जरूरी है रूटीन

जर्नल ऑन पेरेंटिंग स्टाइल इस बात पर जोर देता है कि बच्चे के विकास और जिंदगी पर सबसे अधिक सकारात्मक असर निश्चित दिनचर्या का पालन करने से पड़ता है। डॉ. दीपिका एक उदाहरण देती हैं, ' मेरे एक क्लाइंट का बेटा पढ़ाई में सामान्य था, लेकिन वह पहली बार में ही नीट यूजी की परीक्षा उत्तीर्ण करने में सफल हुआ। उसकी सफलता का राज था, हमेशा तय रूटीन को अपनाना। उसने हर विषय की पढ़ाई के लिए घंटे बांट लिए थे। यहां तक कि उसकी दिनचर्या में खेलने, म्यूजिक सुनने और योगासन के लिए भी समय निश्चित था।' दीपिका आगे बताती हैं कि दिनचर्या जीवन को व्यवस्थित करती है और सफल होने की चाबी भी थमाती है। अगर आपका बच्चा रोज एक निश्चित दिनचर्या को अपनाता है, तो उसमें सुरक्षा की भावना बढ़ती है क्योंकि उसका सारा काम समय से पहले या समय के अनुरूप हो जाता है। उसकी अच्छी आदतें न सिर्फ उसमें आत्मविश्वास पैदा करती हैं, बल्कि उसके विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बच्चे को दोबारा रूटीन में वापस लाने में ये बातें मददगार साबित हो सकती हैं:

अच्छी नींद सबसे जरूरी

डॉ. दीपिका के अनुसार, मजेदार ब्रेक या लंबी छुट्टी के बाद सुबह की दिनचर्या में वापस आना पुराने इंजन को फिर से चालू करने जैसा लग सकता है। हमारा शरीर भी आराम करने का जल्दी आदी हो जाता है, इसलिए शरीर और मन दोनों के स्तर पर विरोध होता है। हमारा लक्ष्य केवल बच्चे को समय पर स्कूल पहुंचाना नहीं होता है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी होता है कि वे ऊर्जावान, सकारात्मक रहें और स्कूल की पढ़ाई को अच्छी तरह से समझ सकें। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, नींद पूरी होना। बच्चों को समय पर खाने और सोने के लिए कहें। अच्छी नींद से बच्चे को पर्याप्त आराम मिलेगा और वे अगले दिन की चुनौतियों के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकेंगे। सही समय पर रात में सोने से न सिर्फ उनका बॉडी क्लॉक सही होगा, बल्कि वे एक अच्छी दिनचर्या को अपनाने के लिए प्रेरित भी होंगे। रात में सोने से पहले मनपसंद किताब पढ़ने या ध्यान करने से उन्हें अच्छी नींद आएगी। इन दिनों कई एप हैं, जो स्लीपिंग टाइम का मधुर संगीत प्लेलिस्ट या प्रकृति की आवाजें सुनाकर नींद को शांत और सुकूनदायक बनाते हैं। बच्चे को जल्दी सुलाने के लिए इन एप्स की मदद भी लें।

साधिए संतुलन

स्क्रीन हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गई है। वर्चुअल कक्षाओं से लेकर सुकून दिलाने वाली गतिविधियों तक के लिए इन पर हमारी निर्भरता बढ़ गई है। जिंदगी में बेहतरी के लिए तकनीक का सहारा लेने के लिए बच्चे को प्रेरित करना अच्छी बात है, पर बच्चों के समग्र विकास के लिए संतुलन बनाना भी बहुत जरूरी है। बच्चे के स्क्रीन टाइम और पढ़ाई के टाइम के बीच संतुलन साधना भी जरूरी है। बच्चे को यह भी सिखाएं कि वह इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए ही नहीं बल्कि खुद की बेहतरी के लिए भी करे। स्क्रीन के इस्तेमाल के लिए स्पष्ट सीमा निर्धारित करें और बच्चे को उस सीमा का पालन करने के लिए प्रेरित करें। ऑनलाइन कक्षाओं, शोध और असाइनमेंट के लिए वह हर दिन कितने वक्त के लिए स्क्रीन का इस्तेमाल कर सकता है, इसके लिए भी निश्चित टाइम-टेबल बनाएं।

एक बार पढ़ाई का काम पूरा हो जाने के बाद उन्हें कुछ आराम करने का समय दें, जहां वे अपनी पसंदीदा डिजिटल गतिविधियों में शामिल हो सकें, चाहे वह गेमिंग हो, वीडियो देखना हो या दोस्तों के साथ बातचीत करना हो। संतुलन बनाने के लिए घर पर 'टेक-फ्री' जोन बनाएं। इस बात का ध्यान रखें कि घर के उस हिस्से में घर का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार का गैजेट इस्तेमाल नहीं करें। मोबाइल को स्टडी टेबल से दूर रखें। हार्ड बुक पढ़ने, आउटडोर गेम खेलने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें। धीरे-धीरे गैजेट से यह ब्रेक बच्चों को भी पसंद आ जाएगा। साथ ही पढ़ाई का एक निश्चित कोना भी होना चाहिए। इससे रूटीन में आने मदद मिलती है। बच्चा पढ़ाई से संबंधित जो भी सामग्री ऑनलाइन तलाशता है, उस पर नियमित चर्चा की आदत बना लें।

तय हो पढ़ाई का समय

निश्चित समय पर पढ़ने के लिए बैठना और निश्चित समय तक पढ़ना सिर्फ परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए ही नहीं बल्कि देश-दुनिया को जानने और अपने सोचने-समझने के दायरे को विस्तृत करने के लिए भी जरूरी है। इस आदत को स्कूल की व्यस्त दिनचर्या में भी शामिल किया जा सकता है। चाहे वह सुबह का शांत समय हो या सोने से पहले का तनावरहित समय... कोर्स से अलग किताबें पढ़ने के लिए एक खास समय निर्धारित करें। फिक्शन, नॉन-फिक्शन, कॉमिक्स या मैगजीन जैसी विभिन्न विधा की किताबों को नियमित रूप से पढ़ने के लिए बच्चे को प्रेरित करें। इससे बच्चे में पढ़ने की आदत पड़ेगी।

स्कूल बैग भी कहता है कुछ

स्कूल बैग में कोंची हुई किताबें-कॉपियां, बैग पर खाने-पीने के चीजों का दाग लगा होना आदि स्कूल वाले रूटीन में लौटने में बच्चे के लिए सबसे बड़ा बाधक बन सकता है। यदि सुबह हड़बड़ी रहती है, तो बच्चे को रात में ही अपना बैग पैक कर लेने की सलाह दें। बैग की अव्यवस्था को दूर करें। बच्चे को नियमित रूप से स्कूल बैग को खाली करने दोबारा उसमें आवश्यक चीजें रखने के लिए कहें। ऐसा करने की उसमें आदत डालें। प्रत्येक विषय के लिए एक जरूरी नोटबुक और फोल्डर बैग में रखने के लिए बच्चे को प्रेरित करें। इससे उसका स्कूली जीवन सुव्यवस्थित होगा।

शोध भी मानते हैं दिनचर्या के फायदेमंद

1) जर्नल ऑफ फैमिली थ्योरी एंड रिव्यू में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 'जो बच्चे निश्चित दिनचर्या का पालन करते हैं, उनमें सकारात्मक बदलाव नजर आते हैं। ऐसे बच्चों में सामाजिक-भावनात्मक, शैक्षणिक कौशल और समग्र मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दिनचर्या का पालन नहीं करने वाले बच्चों की अपेक्षा बेहतर पाया गया। चार हजार से अधिक बच्चों पर किए अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया है।'

2) अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन के अनुसार, सबसे बड़ी चुनौती दिनचर्या का निरंतर अनुसरण नहीं करने पर आती है। जो बच्चे नियत दिनचर्या का अनुसरण करते हैं, उनमें स्किल डेवलपमेंट और चीजों को सीखने की बेहतर क्षमता होती है। ऐसे बच्चे भावनात्मक रूप से अपने परिवार से ज्यादा जुड़े होते हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें