लाइट और तेज आवाज वाले खिलौने बच्चे के दिमाग पर डालते हैं बुरा असर, पढ़ें डॉक्टर की सलाह
तेज रोशनी और आवाज करने वाले खिलौने अनजाने में ही सही लेकिन अपने बच्चे की दिमागी विकास पर बुरा असर डाल रहे होते हैं। जी हां, बच्चों के डॉक्टर पुनीत आनंद ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करके इस बात की जानकारी शेयर की है।

छोटे बच्चे अकसर रंग-बिरंगी चीजों को देखकर बेहद आकर्षित होते हैं। यही वजह है कि पेरेंट्स और रिश्तेदार, बच्चे को खुश करने के लिए लाइट, तेज संगीत और आवाज निकालने वाले खिलौने खरीदकर लाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं आपके ऐसा करने से आप अनजाने में ही सही लेकिन अपने बच्चे की दिमागी विकास पर बुरा असर डाल रहे होते हैं। जी हां, बच्चों के डॉक्टर पुनीत आनंद ने अपने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करके इस बात की जानकारी शेयर की है।
शोर और लाइट वाले खिलौने बच्चे पर डालते हैं क्या बुरा असर
बढ़ती है उत्तेजना
डॉक्टर पुनीत आनंद बताते हैं कि चमकदार रंग-बिरंगी रोशनी के साथ तेज आवाज करने वाले खिलौने छोटे बच्चे के तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करके उसे चिड़चिड़ा बना सकते हैं। जिससे उसकी नींद और सीखने की क्षमता पर बुरा असर पड़ सकता है।
कल्पना शक्ति होती है कमजोर
डॉक्टर के अनुसार तेज रोशनी और आवाज करने वाले खिलौनों में पहले से ही अंदर सब कुछ फिट होता है। जो खिलौने का बटन दबाते ही अपने आप चलने और बोलने लगता है। ऐसे खिलौनों के साथ खेलते समय बच्चा सिर्फ इन्हें देखता और सुनता है ना कि अपने दिमाग से कुछ सोचता और सीखता है। जिससे उसकी कल्पनाशक्ति और समस्या सुलझाने की क्षमता विकसित नहीं हो पाती है।
भाषा सीखने में देरी
डॉक्टर आनंद के अनुसार छोटे बच्चे घर के बड़ों को जब बात करते हुए, कहानी सुनाते हुए देखते हैं तो उनकी भाषा से नए शब्दों के साथ बहुत कुछ जल्दी सीख जाते हैं। ऐसा खिलौनों की रिकार्ड आवाज को सुनने से संभव नहीं हो पाता है।
फोकस में कमी
लगातार खिलौनों से निकलने वाली तेज आवाज और रोशनी की वजह से बच्चे का ध्यान जल्दी-जल्दी भटकता रहता है। जिसकी वजह से बच्चा लंबे समय तक किसी एक चीज में अपना ध्यान नहीं लगा पाता है। ऐसे बच्चों को बाद में पढ़ाई करते समय फोकस करने में भी परेशानी होती है।
खेल से दूरी
डॉक्टर पुनीत कहते हैं कि साधारण खिलौने बच्चे को सीखने और दिमागी विकास करने का पूरा मौका देते हैं। जो कि इन रोशनी और तेज आवाज वाले खिलौनों से नहीं मिलता है।
डॉक्टर की सलाह
-बच्चे को महंगे खिलौनों की जगह सिंपल खिलौने खेलने के लिए दें।
-खिलौनों से ज्यादा बच्चे से खुद ज्यादा से ज्यादा बात करें, उसकी आंखों में देखकर मुस्कुराएं, उसे कहानियां सुनाएं। आपके ऐसा करने से आपके और आपके बच्चे के बीच एक मजबूत बॉन्ड बनेगा।
-बच्चे की आंखों को खिलौनों से निकलने वाली लेजर लाइट से दूर रखें।
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