फडणवीस ने दावा किया कि उद्धव ने CM रहते हिंदी को अनिवार्य करने वाली रिपोर्ट स्वीकार की थी। अब उद्धव और राज ठाकरे ने हिंदी अनिवार्यता के खिलाफ 5 जुलाई को मुंबई में संयुक्त विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
यह जमीन भी किसी मामूली परिवार की नहीं है बल्कि किसी दौर में हैदराबाद के दीवान रहे सालार जंग परिवार की है। अब इस मामले की जांच महाराष्ट्र की आर्थिक अपराध शाखा ने संभाल ली है और उसकी ओर से यह जांच की जा रही है कि आखिर सालार जंग परिवार से सांसद के ड्राइवर का क्या रिश्ता है।
शिवसेना (UBT) प्रमुख ने घोषणा की कि उनकी पार्टी स्कूलों में त्रि-भाषा फार्मूले और हिंदी थोपे जाने के खिलाफ सात जुलाई को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा आयोजित प्रदर्शन में भाग लेगी।
Maharastra news: मुंबई में एक कचरे के ढ़ेर पर मिली महिला के केस में नया ट्विस्ट आया है। पुलिस के मुताबिक परिवार ने ही स्किन कैंसर से पीड़ित महिला को कूड़े के ढेर में फेंक दिया था। पुलिस ने इस मामले में परिवार के सदस्यों पर मामला दर्ज कर लिया है।
दानवे ने लोनीकर पर निशाना साधते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, 'आपका विधायक का दर्जा लोगों की वजह से है। आपके कपड़े, जूते, हवाई टिकट, नेतागिरी, (आपकी) कार में डीजल भी लोगों की वजह से है।' उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेता ने कहा, 'लोगों को ये शब्द याद रखने चाहिए।
मुंबई क्राइम ब्रांच अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि बिलाल का कोई आपराधिक मकसद तो नहीं था या वह किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा तो नहीं है।
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 74 और धारा 75 (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया है। इस घटना का एक वीडियो सीसीटीवी में कैद हुआ है, जो जांच में महत्वपूर्ण सबूत के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) से जारी एक आदेश के अनुसार, फडणवीस ने मंत्रियों द्वारा प्रस्तावित कुछ निजी सचिवों और ओएसडी की नियुक्तियों को भ्रष्ट या सौदेबाज मानते हुए खारिज कर दिया है।
एक्सप्रेसवे का नाम शक्तिपीठ इसलिए रखा गया है क्योंकि यह महालक्ष्मी, तुलजाभवानी और पत्रादेवी शक्तिपीठ को जोड़ेगा। इसके अलावा पंढरपुर, नांदेड़ और सेवाग्राम जैसे स्थानों को भी इससे जोड़ा जा सकेगा। सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल तख्त सचखंड साहिब नांदेड़ में ही स्थित है।
13 मई को ही परिणाम घोषित कर दिए गए, जिससे छात्रों को पहले दाखिले की उम्मीद थी। लेकिन उसके बाद सरकार ने पहले नया केंद्रीकृत प्रवेश प्रणाली (CAP) लागू करने की कोशिश की। इसके बाद आरक्षण लागू करने की योजना बनाई।