न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह ने एक स्थानांतरण याचिका पर यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा कि वैवाहिक मामलों में हमने पाया है कि मध्यस्थता की अवधारणा को लेकर गलतफहमी है।
जमानत आदेश में एक उपधारा का उल्लेख नहीं था। कोर्ट ने कहा कि जब सभी अधिकारियों को अपराध, धाराएं और आरोपी की पहचान स्पष्ट थी तो उस एक तकनीकी त्रुटि को आधार बनाकर रिहाई में देरी बहाना और लापरवाही की निशानी है।
कुछ सदस्यों ने जजों के लिए बने 16 पॉइंट के कोड ऑफ कंडक्ट का पालन न होने पर भी सवाल किया। यह कोड ऑफ कंडक्ट सुप्रीम कोर्ट ने ही 1997 में लागू किया था। सांसदों ने कहा कि जजों के लिए यह कोड ऑफ कंडक्ट सिर्फ कागजों में ही है।
Supreme Court News: भ्रष्टाचारी अधिकारी को फिर से ड्यूटी ज्वॉइन करने की अनुमति मिलनी चाहिए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने क्या कहा?
तीन जजों के पैनल ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों में सत्यता की बात कही गई है। इस रिपोर्ट को ही पीएम और राष्ट्रपति के पास भेजा गया था और इसके आधार पर ही संसद के दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार चल रहा है। इस रिपोर्ट में 10 अहम बातें निकली हैं।
इसके साथ ही, इस मामले में पुथिया भारतम काची (पीबीके) के विधायक पूवै जगन मूर्ति भी शामिल हैं, जिन्हें हाई कोर्ट ने जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था।
याचिकाकर्ता के पिता दो घर, 33 एकड़ जमीन और 85 हजार रुपये परिवार को मासिक पेंशन छोड़ गए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल की तरफ से रवि की अनुकंपा नियुक्ति की याचिका को खारिज कर दिया था।
पीठ ने कहा कि यदि कमल हासन ने कुछ भी असुविधाजनक कहा है तो उसे अटल सत्य नहीं माना जा सकता और कर्नाटक के प्रबुद्ध लोगों को इस पर बहस करनी चाहिए थी और कहना चाहिए था कि वह गलत थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता पूर्व जज की उस दलील को मानने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी अलग रह रही पत्नी के साथ लंबे समय से जारी वैवाहिक विवाद के कारण जानबूझकर फंसाने का जिक्र किया था।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘भारत के लाखों नागरिकों को ‘अछूत’ कहा जाता था। उन्हें बताया जाता था कि वे अपवित्र हैं। उन्हें बताया जाता था कि वे अपने लिए नहीं बोल सकते। लेकिन आज हम यहां हैं, जहां उन्हीं लोगों से संबंधित एक व्यक्ति देश की न्यायपालिका में सर्वोच्च पद धारक के रूप में खुलकर बोल रहा है।'