हमें कोई मतलब नहीं है कि वे साथ हैं या अलग, पति-पत्नी के झगड़ों पर बोले सुप्रीम कोर्ट के जज
न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह ने एक स्थानांतरण याचिका पर यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा कि वैवाहिक मामलों में हमने पाया है कि मध्यस्थता की अवधारणा को लेकर गलतफहमी है।

सुप्रीम कोर्ट ने पति और पत्नी के बीच झगड़े से जुड़े मामलों पर खुलकर बात की। गुरुवार को कहा कि वैवाहिक मामलों में मध्यस्थता की अवधारणा के बारे में गलतफहमी है। अदालत ने कहा कि अक्सर मध्यस्थता का मतलब यह माना जाता है कि दोनों पक्षों को एक साथ रहना होगा।
न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह ने एक स्थानांतरण याचिका पर यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा कि वैवाहिक मामलों में हमने पाया है कि मध्यस्थता की अवधारणा को लेकर गलतफहमी है। उन्होंने कहा कि जैसे ही हम मध्यस्थता की बात करते हैं, उन्हें लगता है कि हम उन्हें साथ रहने के लिए कह रहे हैं। हमें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वे साथ हैं या अलग। हम बस मामले का हल चाहते हैं। हम चाहेंगे कि वे साथ रहें।
सुप्रीम कोर्ट ने वाणिज्यिक अदालतें अधिनियम, 2015 का उल्लेख किया, जिसमें मुकदमा दायर करने से पहले मध्यस्थता और समाधान की प्रक्रिया का प्रावधान है। पीठ ने कहा कि वाणिज्यिक अदालतें अधिनियम में भी आपको इस प्रक्रिया से गुजरना होता है।