Hindi Newsदेश न्यूज़Kept in jail for 28 days after bail SC reprimanded UP government, will have to pay compensation of Rs 5 lakh

बेल के बाद 28 दिनों तक जेल में रखा; SC ने UP सरकार को फटकारा, देना होगा 5 लाख का मुआवजा

जमानत आदेश में एक उपधारा का उल्लेख नहीं था। कोर्ट ने कहा कि जब सभी अधिकारियों को अपराध, धाराएं और आरोपी की पहचान स्पष्ट थी तो उस एक तकनीकी त्रुटि को आधार बनाकर रिहाई में देरी बहाना और लापरवाही की निशानी है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 25 June 2025 12:41 PM
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बेल के बाद 28 दिनों तक जेल में रखा; SC ने UP सरकार को फटकारा, देना होगा 5 लाख का मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए गाजियाबाद जेल में एक कैदी को जमानत के बावजूद 28 दिन तक जेल में रखने के लिए 5 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि इस देरी की न्यायिक जांच की जाए और अगर किसी अधिकारी की लापरवाही सामने आती है तो यह मुआवजा उनसे वसूला जाए।

न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ ने कहा, “व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बेकार की तकनीकी त्रुटियों और अप्रासंगिक भूलों की वजह से नहीं छीना जा सकता है। जब जमानत आदेश में अपराध और अभियुक्त की पहचान स्पष्ट हो तो फिर ऐसा क्यों किया गया?” पीठ ने यह भी कहा कि कोई उपधारा न होना क्या इतना बड़ा कारण है कि जेल में कैदी को बंद रखा जाए? उन्होंने इसे कर्तव्य में गंभीर चूक करार दिया।

जमानत आदेश स्पष्ट, फिर भी 28 दिन की देरी

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल को जमानत मंज़ूर की थी और रिहाई का आदेश 27 मई को जारी हुआ, लेकिन कैदी को 24 जून को रिहा किया गया। यानी पूरे 28 दिन बाद। वजह के बारे में कहा गया कि जमानत आदेश में एक उपधारा का उल्लेख नहीं था। कोर्ट ने कहा कि जब सभी अधिकारियों को अपराध, धाराएं और आरोपी की पहचान स्पष्ट थी तो उस एक तकनीकी त्रुटि को आधार बनाकर रिहाई में देरी बहाना और लापरवाही की निशानी है।

जेल अधीक्षक तलब, DIG की भी पेशी

सुनवाई के दौरान गाजियाबाद जेल अधीक्षक कोर्ट में स्वयं उपस्थित हुए, जबकि यूपी डीआईजी (जेल) ने वर्चुअल उपस्थिति दर्ज कराई। डीआईजी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि जेल अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे और ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल विभागीय जांच से बात नहीं बनेगी। इसलिए गाजियाबाद के प्रधान जिला न्यायाधीश को जांच सौंपते हुए निर्देश दिया कि वे यह पता लगाएं कि रिहाई में देरी के कारण क्या थे? क्या यह उपधारा का न होना था या कोई और गंभीर कारण है? क्या इसमें किसी अधिकारी की घोर लापरवाही या दुर्भावना दिखती थी?

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