Hindi Newsदेश न्यूज़Courts cannot interfere unless, CJI BR Gavai big comment during hearing on Waqf Act in Supreme Court

अदालतें तब तक दखल नहीं दे सकतीं, जब तक कि... वक्फ ऐक्ट पर CJI गवई की बड़ी टिप्पणी

कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पूर्व CJI संजीव खन्ना ने कहा था कि हम मामले की सुनवाई करेंगे और देखेंगे कि क्या अंतरिम राहत दी जानी चाहिए। अब हमें तीन मुद्दों तक सीमित रहने को कहा जा रहा है, टुकड़ों में सुनवाई नहीं हो सकती।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 20 May 2025 02:44 PM
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अदालतें तब तक दखल नहीं दे सकतीं, जब तक कि... वक्फ ऐक्ट पर CJI गवई की बड़ी टिप्पणी

Waqf Act Supreme Court: देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने आज (मंगलवार, 20 मई) से वक्फ ऐक्ट को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की है। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील दे रहे हैं, जबकि याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी मामले की पैरवी कर रहे हैं। इस दौरान CJI गवई ने कहा कि संसद द्वारा पारित किसी भी कानून में संवैधानिकता की धारणा होती है और जब तक कि उसमें कोई ठोस मामला सामने नहीं आता, तब तक अदालतें इसमें दखल नहीं दे सकती हैं।

इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित करने के लिए सुनवाई को तीन मुद्दों तक सीमित करते हुए कहा कि फिलहाल वक्फ बाय यूजर, वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति और वक्फ के तहत सरकारी भूमि की पहचान तक ही केंद्रित रखा जाय। इस पर केंद्र ने आश्वासन दिया कि वह मामले के सुलझने तक इन मुद्दों पर ही सुनवाई सीमित रखेगा।

टुकड़ों में सुनवाई नहीं हो सकती

सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘न्यायालय ने तीन मुद्दे चिन्हित किए हैं। हमने इन तीन मुद्दों पर अपना जवाब पहले ही दाखिल कर दिया है। हालांकि, याचिकाकर्ताओं की लिखित दलीलें अब कई अन्य मुद्दों तक चली गई हैं। मैंने इन तीन मुद्दों के जवाब में अपना हलफनामा दाखिल किया है। मेरा अनुरोध है कि इसे केवल तीन मुद्दों तक ही सीमित रखा जाए।’’ दूसरी तरफ, वक्फ अधिनियम, 2025 के प्रावधानों को चुनौती देने वाले लोगों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने इन दलीलों का विरोध किया कि अलग-अलग हिस्सों में सुनवाई नहीं हो सकती।

सिब्बल की क्या दलील

सिब्बल ने कहा कि टुकड़ों में सुनवाई नहीं हो सकती। इसलिए एकसाथ सभी मुद्दों पर सुनवाई हो। उन्होंने कहा, “एक मुद्दा ‘अदालत द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड’ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार का है। दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है, जहां उनका तर्क है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही इसमें काम करना चाहिए। तीसरा मुद्दा एक प्रावधान से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।”

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केंद्र ने अंतरिम आदेश पारित करने का विरोध किया था

बता दें कि पिछले महीने 17 अप्रैल को, केंद्र ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई तक न तो ‘वक्फ बाई यूजर’ समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करेगा, न ही केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नियुक्ति करेगा। केंद्र ने केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगाने के अलावा ‘वक्फ बाई यूजर’ सहित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने के शीर्ष अदालत के प्रस्ताव का विरोध किया था।

1,332 पन्नों का प्रारंभिक हलफनामा दायर

गत 25 अप्रैल को, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने संशोधित वक्फ अधिनियम, 2025 का बचाव करते हुए 1,332 पन्नों का प्रारंभिक हलफनामा दायर किया था और ‘संसद द्वारा पारित संवैधानिकता की धारणा वाले कानून’ पर अदालत द्वारा किसी भी तरह की ‘पूर्ण रोक’ का विरोध किया था। केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था, जिसके बाद इसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी। इस विधेयक को लोकसभा में 288 सदस्यों के मत से पारित किया गया, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ थे। राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 सदस्यों ने मतदान किया। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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