CJI को अहसास हो गया कि दर्शक भावुक हो गए हैं और शायद माहौल को हल्का करने के लिए उन्होंने एक घटना को साझा किया जब नागपुर जिला अदालत में हेमा मालिनी के खिलाफ चेक बाउंस का मामला दर्ज किया गया था।
देश के मुख्य न्यायधीश जस्टिस बी आर गवई ने हाल ही में इस बात को दोहराया है कि हमारे देश में संविधान सर्वोच्च है। कुछ दिनों पहले ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने यह बयान दिया था कि संसद सबसे ऊपर है।
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के संगठन ने सीजेआई बीआर गवई को पत्र लिखकर कहा है कि सीनियर वकील प्रताप वेणुगोपाल को ईडी बेवजह परेशान कर रही है। पत्र में कहा गया कि ईडी वकीलों की आजादी छीनने की कोशिश कर रही है।
भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस बी आर गवई इटली के मिलान में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। अपने वक्तव्य के दौरान उन्होंने कहा है कि कार्यपालिका कभी भी न्यायपालिका का काम नहीं कर सकती। इस संबंध में उन्होंने SC के एक अहम फैसले का हवाला दिया।
भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस बी आर गवई ने एक कार्यक्रम के दौरान सामाजिक आर्थिक न्याय की अहमियत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि असमानताओं पर ध्यान दिए बिना, कोई राष्ट्र सही मायनों में लोकतांत्रिक होने का दावा नहीं कर सकता।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘भारत के लाखों नागरिकों को ‘अछूत’ कहा जाता था। उन्हें बताया जाता था कि वे अपवित्र हैं। उन्हें बताया जाता था कि वे अपने लिए नहीं बोल सकते। लेकिन आज हम यहां हैं, जहां उन्हीं लोगों से संबंधित एक व्यक्ति देश की न्यायपालिका में सर्वोच्च पद धारक के रूप में खुलकर बोल रहा है।'
CJI गवई ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहा कि लोकतंत्र तभी टिकाऊ होता है जब सत्ता केवल संस्थाओं के बीच ही नहीं, बल्कि समुदायों के बीच भी वितरित हो।
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में 'न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों तक भी तकनीकि सुलभ होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस गवई ने कहा कि चिंता की बात यह है कि कई बार अदालत की सुनवाई में कही गई बातों को गलत ढंग से पेश किया जाता है। उन्होंने कहा कि जब से कोर्ट की सुनवाई वर्चुअल माध्यमों पर दिखने लगी है, तब से ऐसी चीजों में इजाफा हुआ है।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि जब भी भ्रष्टाचार और कदाचार के ये मामले सामने आए हैं, उच्चतम न्यायालय ने लगातार कदाचार को दूर करने के लिए तत्काल और उचित उपाय किए हैं।