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हमारी आजादी छीनने पर तुली ईडी, वकीलों के संगठन ने CJI बीआर गवई से लगाई गुहार

सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के संगठन ने सीजेआई बीआर गवई को पत्र लिखकर कहा है कि सीनियर वकील प्रताप वेणुगोपाल को ईडी बेवजह परेशान कर रही है। पत्र में कहा गया कि ईडी वकीलों की आजादी छीनने की कोशिश कर रही है।

Ankit Ojha पीटीआईFri, 20 June 2025 04:17 PM
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हमारी आजादी छीनने पर तुली ईडी, वकीलों के संगठन ने CJI बीआर गवई से लगाई गुहार

सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के संगठन ने सीजेआई बीआर गवई को पत्र लिखकर कहा है कि ईडी वकीलों को स्वतंत्र रूप से काम करने में भी बाधा खड़ी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ऐडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड असोसिएशन (SCAORA) ने सीनियर वकील वेणुगोपाल को मिले ईडी के समन की जानकारी देते हुए कहा कि लीगल एडवाइस देने की वजह से उन्हें टारगेट किया जा रहा है। वहीं ईडी के सूत्रों का कहना है कि वेणुगोपाल को जारी किए गए समन को वापस लेने की प्रक्रिया चल रही है।

SCAORA अध्यक्ष विपिन नायर ने सीजेआई को लिखे पत्र में कहा कि वकील और क्लाइंट के बीच विश्वास और वकीलों के खिलाफ यह बहुत ही गलत कदम है। पत्र में कहा गया, हमें पता चला कि सीनियर वकील प्रताप वेणुगोपाल को 19 जून को ईडी का समन मिला है। ईडी ने सेक्शन 50 का इस्तेमाल करके मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत प्रताप वेणुगोपाल को समन भेजा है। एमएस केयर हेल्थ इंश्योरेंस लिमिटेड के एंप्लॉयी स्टॉक ऑप्शन प्लान के संबंध में जांच के लिए उन्हें समन भेजा गया है। इस मामले में सीनियर वकील अरविंद दातार ने एडवाइस दी थी। हालांकि ऑन रिकॉर्ड ऐडवोकेट प्रताप वेणुगोपाल थे। उन्होंने रेलीगेयर एंटरप्राइजेज की पूर्व चेयरपर्सन रश्मि सलूजा के स्टॉक ऑप्शन का समर्थन किया था।

बता दें कि पीएमएलए का सेक्शन 50 समन, दस्तावेजों और सबूतों को पेश करने के जुड़ा होता है। वेणुगोपाल को 24 जून को ईडी के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। पत्र में कहा गया थआ कि पहले इसी तरह का नोटिस अरविंद दाता को भी भेजा गया था। हालांकि इसे बाद में वापस ले लिया गया। पत्र में कहा गया कि वेणुगोपाल बहुत ही प्रतिष्ठित और ईमानदार वकील हैं।

उन्होंने कहा कि ईडी की इस तरह की कार्रवाई वकीलों की गरिमा और ऐडवोकेट-क्लाइंट प्रिविलेज को भी प्रभावित करती है। ईडी का यह एक्शन वकीलों की स्वतंत्रता के खिलाफ है। संगठन ने कहा कि किसी भी वकील को कानूनी सलाह देने का अधिकार है और यह विशेषाधिकार है। ऐसे में किसी जांच एजेंसी को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। अगर एजेंसियां दखल देंगी तो वकील ईमादारी से सेवा नहीं दे पाएंगे। पत्र में सीजेआई से आपील की गई है कि वे वकीलों के प्रोफेशनल प्रोटेक्शन और इस तरह की कार्रवाई को रोकने के लिए निर्देश जारी करें।

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