अब हमास से भी सीजफायर चाहते हैं इजरायली, सर्वे में बेंजामिन नेतन्याहू पर क्या बोले
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के युद्धविराम के आह्वान को खारिज करते हुए, इजरायली सेना ने अक्टूबर 2023 से गाजा पर हमले जारी रखे हैं, जिसमें 56,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।
इजरायल और हमास में चल रहे तनाव के बीच एक हालिया सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे के अनुसार, इजरायल की अधिकांश जनता अब हमास के साथ भी युद्धविराम यानी सीजफायर की पक्षधर है। यह सर्वेक्षण ऐसे समय में सामने आया है, जब इजरायल और ईरान के बीच हाल ही में एक युद्धविराम समझौता हुआ है, जिसकी घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की थी। इस बीच, इजरायली जनता का ध्यान अब गाजा पट्टी में हमास के साथ चल रहे संघर्ष की ओर है।
सर्वे में क्या कहा गया?
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, द जेरूसलम पोस्ट के स्वामित्व वाली ऑनलाइन मीडिया कंपनी वाल्ला ने एक सर्वेक्षण कराया है, जिसमें पाया गया कि 62 प्रतिशत इजरायली चाहते हैं कि उनकी सरकार हमास के साथ एक समझौते पर पहुंचे, जिसके तहत गाजा में कैद शेष लोगों को रिहा किया जा सके। यानी सर्वे में शामिल 62% से अधिक इजरायली नागरिकों ने हमास के साथ तत्काल युद्धविराम की मांग की है। सर्वे में भाग लेने वालों का कहना है कि लंबे समय से चल रहा यह संघर्ष न केवल इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को भी प्रभावित कर रहा है। गाजा में हमास के साथ युद्ध के कारण हजारों लोग प्रभावित हुए हैं, और बंधकों की रिहाई अब भी एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है।
ईरान से युद्ध का समर्थन बढ़ा
इसके अलावा, हाल ही में ईरान के साथ हुए युद्धविराम को महज 33% इजराइलियों ने समर्थन दिया, जबकि 52% ने इसका विरोध किया और 15% ने कोई राय व्यक्त नहीं की।
13 जून को इजरायल ने ईरान पर हमले शुरू किए, जिसमें सैन्य, परमाणु और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस दौरान इजरायली सेना ने ईरानी सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों को भी मार गिराया। 12 दिनों तक चले इस हमले में 606 लोग मारे गए और 5,332 घायल हुए। जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोनों के साथ इजरायली खुफिया और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें 28 लोग मारे गए और 3,238 घायल हुए।
इसके बाद, अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया और दावा किया कि उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को "पूरी तरह नष्ट" कर दिया। जवाब में, तेहरान ने कतर में अमेरिकी अल उदीद एयरबेस पर बमबारी की। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
नेतन्याहू के लिए अच्छी खबर
सर्वे के अनुसार, ईरान के साथ हाल के संघर्ष के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सत्तारूढ़ लिकुड पार्टी को समर्थन में "मामूली वृद्धि" देखी गई है। लेकिन यह उनके मौजूदा गठबंधन के लिए बहुमत के करीब पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं है। सर्वेक्षण में पाया गया कि नेतन्याहू की लिकुड पार्टी की बढ़त काफी हद तक उनके मौजूदा गठबंधन सहयोगियों की कीमत पर हुई है। सर्वे दिखाता है कि मौजूदा नेतन्याहू समर्थक गठबंधन गुट नेसेट की 120 सीटों में से केवल 49 सीटें ही जीत पाएगा। विपक्षी दलों को 61 सीटें मिलेंगी, जबकि अरब दलों को 10 सीटें मिलने का अनुमान है।
यदि आज चुनाव होते, तो नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को 120 सीटों वाली नेसेट में 26 सीटें जीतने का अनुमान है, जो युद्ध-पूर्व सर्वेक्षणों से चार अधिक है। यह पूर्व प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट की नई पार्टी से दो सीटें अधिक है, जिसे 24 सीटें मिलने का अनुमान है। वामपंथी डेमोक्रेट्स 12 सीटें जीत सकते हैं।
गाजा में चल रहे युद्ध के बावजूद, नेतन्याहू ने विपक्ष के शुरुआती चुनाव कराने के आह्वान को बार-बार खारिज किया है। उनके आलोचकों का आरोप है कि वह सत्ता में बने रहने के लिए युद्ध को लंबा खींच रहे हैं। सर्वे में 54% लोगों ने कहा कि नेतन्याहू के प्रति उनकी राय में कोई बदलाव नहीं हुआ है। 32% ने कहा कि उनकी राय में सुधार हुआ है, जबकि केवल 8% ने अधिक नकारात्मक राय व्यक्त की।
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