Hindi Newsविदेश न्यूज़After Ceasefire with Israel Iran Clashes with Russia Putin Faces Criticism

इजरायल से सीजफायर होते ही ईरान अपने ‘दोस्त’ रूस से ही भिड़ा, क्यों निशाने पर पुतिन

ईरान को उम्मीद थी कि रूस खुलकर उसके पक्ष में खड़ा होगा, लेकिन पुतिन का रुख अब तेहरान को खटकने लगा है। दूसरी ओर, रूस खुद को इस युद्ध से बाहर रखकर अपनी वैश्विक रणनीति में संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है।

Gaurav Kala रॉयटर्स, मॉस्कोTue, 24 June 2025 04:31 PM
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इजरायल से सीजफायर होते ही ईरान अपने ‘दोस्त’ रूस से ही भिड़ा, क्यों निशाने पर पुतिन

ईरान और इजरायल के बीच चल रही भीषण जंग पर सीजफायर लागू हो गया है। ऐसा दावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किया गया। उन्होंने खुद को क्रेडिट देते हुए कहा कि दोनों देश युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। हालांकि इजरायल अभी भी ईरान पर युद्ध भड़काने का आरोप लगा रहा है। इस बीच ऐसी रिपोर्ट सामने आई है कि ईरान इजरायल और अमेरिका के खिलाफ युद्ध में रूस के कदम को लेकर गुस्से में है। इजरायली और अमेरिकी हमलों के बीच रूस ने अब तक जितना साथ दिया, उससे तेहरान खुश नहीं है। वहीं पुतिन ने भी अब अपना गुस्सा जाहिर किया है।

ईरान पर अमेरिकी और इजरायली हमलों को लेकर रूस की प्रतिक्रिया पर अब विवाद खड़ा हो गया है। क्रेमलिन की ओर से मंगलवार को सफाई दी गई कि रूस ने ईरान का समर्थन किया है और अमेरिका-इजरायल हमलों की कड़ी निंदा की है। लेकिन ईरानी सूत्रों ने रॉयटर्स को बताया कि उन्हें रूस का समर्थन अब तक पर्याप्त नहीं लग रहा। पुतिन ने सोमवार को कहा था कि रूस "ईरानी जनता की मदद करने की कोशिश करेगा", लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि मदद किस रूप में होगी। इससे तेहरान की निराशा और बढ़ गई।

ईरान की नाराजगी क्या है?

पिछले दिनों तेहरान पहुंचे ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने पुतिन से मुलाकात की थी। कहा जा रहा है कि वे ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई का पत्र भी लाए थे, लेकिन क्रेमलिन ने इससे इनकार कर दिया। इस बीच, पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "रूस ने ईरान को लेकर स्पष्ट स्थिति अपनाई है। कुछ लोग रूस-ईरान साझेदारी को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।"

सीरिया की असद सरकार के समय से तुलना

जानकार मानते हैं कि ईरान के रणनीतिक साझेदार के रूप में रूस से उम्मीद की जा रही थी कि वह सीरिया की तरह इस बार भी ज़्यादा आक्रामक रुख अपनाएगा। लेकिन न तो रूसी सेना कोई कार्रवाई कर रही है और न ही कोई सैन्य समर्थन की घोषणा हुई है। यही वजह है कि कुछ विश्लेषक इसे 2024 में सीरिया में बशर अल-असद के गिराए जाने की घटना से जोड़ रहे हैं। बता दें कि 2024 के आखिर में सीरिया के तानाशाह बशर अल-असद की सत्ता से बेदखली के बाद उन्हें रूसी सेना की मदद से सुरक्षित रूस पहुंचाया गया था।

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रूस के मन में क्या?

रूस की स्थिति को लेकर यह भी चर्चा है कि वह अमेरिका और इजरायल से सीधे टकराव से बचना चाहता है। यूक्रेन युद्ध के चलते रूस की सैन्य और आर्थिक स्थिति पर पहले से दबाव है। ऐसे में एक और मोर्चा खोलना पुतिन के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

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