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रूस को टेंशन देने वाले नाटो की मीटिंग आज, संगठन में अमेरिका पर ही क्यों भड़के हैं कई देश

रूस को टेंशन देने वाले संगठन, नाटो की आज बैठक है। इस बैठक में अमेरिका समेत कुल 32 देश हिस्सा लेंगे। बैठक का एक अहम पहलू संगठन में शामिल देशों के रक्षा बजट को लेकर है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, हेगTue, 24 June 2025 12:24 PM
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रूस को टेंशन देने वाले नाटो की मीटिंग आज, संगठन में अमेरिका पर ही क्यों भड़के हैं कई देश

रूस को टेंशन देने वाले संगठन, नाटो की आज बैठक है। इस बैठक में अमेरिका समेत कुल 32 देश हिस्सा लेंगे। बैठक का एक अहम पहलू संगठन में शामिल देशों के रक्षा बजट को लेकर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि संगठन के सभी सदस्य अपनी जीडीपी का 5 फीसदी रक्षा जरूरतों पर खर्च करें। ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों ने भी इसका समर्थन किया था। वहीं, कई देश ऐसा करने के पक्ष में नहीं हैं। इसको लेकर तरह नाटो संगठन के कुछ देश अमेरिका पर ही भड़के हुए हैं, जिसमें स्पेन का नाम सबसे अहम है।

नाटो महासचिव का रूस को लेकर दावा
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में लंदन यात्रा के दौरान नाटो महासचिव मार्क रूटे ने दावा किया था कि रूस 2030 तक नाटो देशों पर हमला करना चाहता है। चैथम हाउस थिंक टैंक में बोलते हुए उन्होंने कहाकि गोला-बारूद के उत्पादन में रूस अपने से कहीं बड़े नाटो से आगे निकल रहा है और गठबंधन को सामूहिक रक्षा में बड़ी छलांग लगानी होगी। हाल के महीनों में, नाटो महासचिव ने बार-बार रूस, चीन, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों को शत्रु देश कहा है। साथ ही उनसे खतरा उत्पन्न होने का आरोप लगाया है।

ट्रंप से खुश नहीं पेड्रो सांचेज
इसके बाद से ही नाटो के सदस्य देशों के रक्षा बटट में इजाफे की बात कही जा रही है। हालांकि स्पेन के प्रधानमंत्री ने तो खुलेआम अमेरिका के इस प्रस्ताव को नकार दिया है। उन्होंने इसे गैरजरूरी बताया है। हालांकि इसको लेकर डोनाल्ड ट्रंप बहुत खुश नहीं हैं। स्पेन से बयान आने के अगले ही दिन ट्रंप ने कहाकि केवल अमेरिका ही इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने सभी 32 दलों से सहयोग की उम्मीद जताई है। ट्रंप ने यहां तक कह डाला कि नाटो स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज से निपटेगा। स्पेन एक बहुत कम खर्च कर रहा है। उन्होंने कनाडा के लिए भी यही बात कही। बता दें कि नाटो का मिलिट्री हेडक्वॉर्टर बेल्जियम के मोन्स में है। हालांकि इसे हमेशा शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ही चलाते हैं।

स्पेनिश प्रधानमंत्री ने क्या कहा
स्पेनिश प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने जोर देकर कहा है कि उनका देश दूसरे नाटो सदस्यों की तरह रक्षा खर्च नहीं बढ़ाएगा। उन्होंने नाटो के मुखिया की एक चिट्ठी भी जारी की है जिसमें इसकी पुष्टि की गई है। पेड्रो सांचेज ने कहाकि स्पेन को जीडीपी का पांच फीसदी रक्षा पर खर्च करने की जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि जून में नाटो महासचिव मार्क रूटे ने नाटो सदस्य देशों का आह्वान किया था कि वे अपने रक्षा खर्च को अपने अपने सकल घरेलू उत्पाद के वर्तमान 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करें। साथ ही बुनियादी ढांचे के विकास, सैन्य उद्योग और अन्य सुरक्षा-संबंधी निवेशों पर अन्य 1.5 प्रतिशत धनराशि खर्च करे। यह करार एक तरह से ट्रंप की मांग पूरी करने और रूस को रोकने में मदद के लिए जरूरी समझा जा रहा है।

रूस के खिलाफ नाटो की तैयारी
नाटो की मुख्य तैयारी रूस के खिलाफ है। एक संगठन के तौर पर नाटो के पास कोई हथियार नहीं है। यह मुश्किल वक्त में सदस्य देशों को नॉन-लेथल सपोर्ट देता है। इसमें ईंधन, कॉम्बैट राशंस, मेडिकल सामान, बॉडी आर्मर और अन्य उपकरण। लेकिन सदस्य अपने यहां से हथियार भेज सकते हैं। यूरोपीय सहयोगियों ने 2024 में यूक्रेन को 60 फीसदी मिलिट्री सहायता मुहैया कराई थी। नाटो से हाल में जुड़ने वाले देशों में फिनलैंड और स्वीडन हैं।

नाटो का मिलिट्री प्लान
नाटो का मिलिट्री प्लान भी सामने आया है। इसके मुताबिक किसी भी तरह के हमले का सामना करने के लिए 30 दिन के अंदर 300,000 सेना के जवान तैनात किए जाएंगे। चाहे लड़ाई धरती पर हो, समुद्र में हो, हवा में हो या फिर साइबर स्पेस में। नाटो देशों में अमेरिका सबसे ज्यादा सैन्य बोझ उठाता है। अपने बड़े रक्षा बजट के दम पर उसके पास ज्यादा जवान और लड़ाई के सामान हैं। साल 2014 में नाटो सदस्य सबसे पहले अपना रक्षा बजट बढ़ाने पर सहमत हुए जब रूस ने यूक्रेन के क्रीमियाई प्रायद्वीप को अवैध रूप से अपने में मिला लिया। इसके बाद जब रूस ने 2022 में यूक्रेन पर हमला बोला तो इसे बढ़ाकर 2 फीसदी करने की बात पर सहमति बनी।

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