ट्रंप ने हाल ही में इजरायल-ईरान संघर्ष में युद्धविराम कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके बाद उनका ध्यान अब गाजा पर केंद्रित है। ट्रंप गाजा में शांति स्थापित करके मध्य पूर्व में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहते हैं।
ईरान की ओर से हमास को मदद मिलनी बंद हो गई है और दूसरी तरफ इजरायल के हमले लगातार जारी हैं। हालात ऐसे हो गए हैं कि हमास के पास कमांडरों की ही कमी हो गई है। बड़ी संख्या में हमास उग्रवादियों को इजरायल ने सुरंगों के अंदर छिपे रहने के दौरान ही मार डाला है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के युद्धविराम के आह्वान को खारिज करते हुए, इजरायली सेना ने अक्टूबर 2023 से गाजा पर हमले जारी रखे हैं, जिसमें 56,000 से अधिक फलस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।
इजरायली सेना ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि उनके सैनिकों पर दक्षिणी गाजा में हमला हुआ, जिसमें सात सैनिकों की मौत हो गई। उसने दावा किया कि यह हमला हमास के ठिकानों को निशाना बनाने के दौरान हुआ।
अवदा अस्पताल ने बताया कि 146 फिलिस्तीनी घायल हुए हैं। उनमें से 62 की हालत गंभीर है, जिन्हें मध्य गाजा में अस्पताल ले जाया गया है। मध्य शहर दीर अल-बलाह के अस्पताल ने बताया कि उसे इस घटना में मारे गए 6 लोगों के शव मिले हैं।
मिस्र, कतर और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मध्यस्थता वाली युद्धविराम वार्ता बार-बार असफल हो रही है, क्योंकि इजरायल और हमास अपनी-अपनी शर्तों पर अड़े हुए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध की स्थिति में शादी के आयोजन को लेकर सुरक्षा चिंताएं काफी बढ़ गईं। इजरायली पुलिस ने आयोजन स्थल के 100 मीटर के दायरे में लोहे की रॉड और कांटेदार तार लगाए थे।
ईरान पर इजरायली हमलों के बाद आतंकी गुट हमास का बयान आया है। उसने कहा कि ईरान ने हमेशा इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीनी प्रतिरोध को सैन्य और आर्थिक मदद दी है और अब उसी समर्थन के कारण वह निशाना बना है।
Israel Hamas Gaza: इटली से गाजा की तरफ जा रही स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को इजरायल ने साफ चेतावनी दी है। इजरायली रक्षा मंत्री ने कहा कि उनके लिए बस एक ही संदेश है कि वापस लौट जाओ।
Israel Gaza news update: स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग अपने साथियों के साथ मिस्र के बंदरगाह पर पहुंच चुकी हैं। इजरायली सेना की तरफ से मिली गिरफ्तार करने की चेतावनी के बाद आयोजकों ने ब्रिटेन, यूएस समेत तमाम मानवाधिकार संगठनों से मदद मांगी है।