सवर्ण, महादलित और SC-ST के बाद मछुआरा आयोग का गठन, नीतीश सरकार का चुनावी खेला!
नीतीश सरकार ने मछुआरा आयोग का गठन कर दिया है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने शनिवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। पूर्वी चंपारण के अजगरी चुड़िहरवा टोला के ललन कुमार को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।
बिहार चुनाव को देखते हुए नीतीश सरकार एक के बाद एक तमाम आयोगों में खाली पदों को भरने का काम कर रही है। इसके साथ ही मछुआरा समाज के हितों के मद्देनजर बड़ा कदम उठाते हुए मछुआरा आयोग का गठन किया है। जो मछुआरों के कल्याण, सुरक्षा, और आर्थिक विकास के लिए काम करेगा। पूर्वी चंपारण के अजगरी चुड़िहरवा टोला के ललन कुमार को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।
जबकि बक्सर के अजीत चौधरी को उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा समस्तीपुर के विद्या सागर सिंह निषाद, पटना के राजकुमार, और भागलपुर की रेणु सिंह को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है। आपको बता दें निषाद समाज में शामिल मछुआरों की राज्य में ठीक-ठाक आबादी है। राज्य में निषादों की आबादी करीब 8-9 फीसदी बताई जाती है। जो एक बड़ा वोट बैंक है।
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) चीफ मुकेश सहनी निषाद समाज की राजनीति करते आए हैं। और निषाद आरक्षण की मांग बीते कई सालों से उठा रहे हैं। वीआईपी महागठबंधन का सहयोगी दल है। ऐसे में नीतीश सरकार का ये दांव सहनी पर भारी पड़ सकता है। नीतीश सरकार की सहयोगी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पहले ही बता चुके थे कि जल्द मछुआरा आयोग का गठन होगा। यही नहीं सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर मुकेश सहनी के वोट बैंक में सेंधमारी के लिए भाजपा ने हर प्रमंडल में मछुआरा सम्मेलन करने का फैसला किया है।
जून-जुलाई में आयोजित होने वाले मछुआरा सम्मेलन 10 जून को मुजफ्फरपुर, 14 जून को कटिहार, 18 जून को दरभंगा, 22 जून को मोतिहारी, 26 जून को समस्तीपुर, 30 जून को खगड़िया और 10 जुलाई को पटना में होगा। इससे पहले नीतीश सरकार ने सवर्ण और अनुसूचित जाति के लिए भी आयोग बनाए थे, अब मछुआरा आयोग के जरिए सरकार सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है