कुछ सदस्यों ने जजों के लिए बने 16 पॉइंट के कोड ऑफ कंडक्ट का पालन न होने पर भी सवाल किया। यह कोड ऑफ कंडक्ट सुप्रीम कोर्ट ने ही 1997 में लागू किया था। सांसदों ने कहा कि जजों के लिए यह कोड ऑफ कंडक्ट सिर्फ कागजों में ही है।
होली की रात 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लग गई थी। दमकलकर्मियों ने आग बुझाने के दौरान देखा कि स्टोर रूम में भारी मात्रा में अधजली नकदी पड़ी हुई हैं।
पुलिस प्रमुख ने स्टोर रूम में मिली जली हुई नकदी की फोटो और वीडियो मुख्य न्यायाधीश को भेजी, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट और फिर तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना को भी इस बारे में सूचित किया गया।
तीन जजों के पैनल ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें जस्टिस यशवंत वर्मा पर लगे आरोपों में सत्यता की बात कही गई है। इस रिपोर्ट को ही पीएम और राष्ट्रपति के पास भेजा गया था और इसके आधार पर ही संसद के दोनों सदनों में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार चल रहा है। इस रिपोर्ट में 10 अहम बातें निकली हैं।
दमकल विभाग के एक कर्मचारी ने अपनी गवाही में बताया कि बाईं ओर शराब की बोतलों थीं। इससे आग की तीव्रता बढ़ गई। जब दाहिनी ओर पानी डाला गया तो वहां रखा सामान गिरने लगा और फर्श पर करेंसी नोट भी दिखाई देने लगे।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली समिति ने 10 दिनों तक मामले की पड़ताल की थी। इस दौरान 55 गवाहों से पूछताछ की और जस्टिस यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास का दौरा भी किया था।
कैश कांड में घिरे दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस वर्मा की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्य जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सिफारिश की है।
सिब्बल ने कहा कि इन-हाउस जांच महाभियोग प्रस्ताव का आधार नहीं हो सकती। उन्होंने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा इस रिपोर्ट को सरकार को भेजने की आवश्यकता पर सवाल उठाया।
सिब्बल ने कहा कि पूरी घटना में भेदभाव की बू आती है, क्योंकि एक तरफ राज्यसभा सचिवालय ने CJI को पत्र लिखकर कहा कि जस्टिस यादव के खिलाफ आंतरिक जांच न की जाए, जबकि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाया जा रहा।
कैश कांड में फंसे इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारियों तेज हो गई हैं। अब उनके पास महाभियोग से बचने का एक ही रास्ता शेष है।