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क्यों नहीं दर्ज हुई FIR? संसदीय समिति की बैठक में गूंजा जस्टिस यशवंत वर्मा का मुद्दा; और क्या चर्चा

होली की रात 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लग गई थी। दमकलकर्मियों ने आग बुझाने के दौरान देखा कि स्टोर रूम में भारी मात्रा में अधजली नकदी पड़ी हुई हैं।

Pramod Praveen एएनआई, नई दिल्लीTue, 24 June 2025 03:49 PM
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क्यों नहीं दर्ज हुई FIR? संसदीय समिति की बैठक में गूंजा जस्टिस यशवंत वर्मा का मुद्दा; और क्या चर्चा

दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास पर भारी मात्रा में अधजली नकदी मिलने के मामले में फंसे हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा का मामला आज संसद की स्थायी समिति की बैठक में भी उठा। समिति के सदस्यों ने पूछा कि इस मामले में कोई एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई। सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी ANI ने बताया है कि चर्चा के दौरान समिति के सदस्यों ने वीरस्वामी मामले की समीक्षा का सुझाव दिया। इसके अलावा समिति ने जजों के लिए आचार संहिता बनाने और सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद लेने के लिए कूलिंग-ऑफ अवधि के बारे में भी सुझाव दिया।

संसदीय समिति ने यह चर्चा तब की है, जब अगले महीने संसद के मॉनूसन सत्र में जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी हो रही है। संसद की कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय संबंधी स्थायी समिति ने आज (मंगलवार को) बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा की। इसके साथ ही न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के बाद की नियुक्तियों पर भी विचार-विमर्श किया।

भाजपा सांसद बृजलाल समिति के अध्यक्ष

राज्यसभा की इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजलाल हैं और इसमें भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (जो एक मनोनीत सांसद हैं), पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सुखेंदु शेखर राय और कल्याण बनर्जी, कांग्रेस के विवेक तन्खा और द्रमुक के पी विल्सन तथा ए राजा इसके प्रमुख सदस्य हैं।

जस्टिस वर्मा पर महाभियोग की तैयारी

जहां जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाए जाने की संभावना है, वहीं विपक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई के लिए पहले ही नोटिस दे चुका है। नकदी बरामद होने के बाद जस्टिस वर्मा को उनकी मूल अदालत इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया गया था। हालांकि,उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है।

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राज्यसभा सचिवालय उन सांसदों के हस्ताक्षरों का भी सत्यापन कर रहा है, जिन्होंने जस्टिस यादव के खिलाफ कथित नफरती भाषण को लेकर महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं। सचिवालय पहले ही सांसदों को उनके हस्ताक्षरों की पुष्टि के लिए पत्र लिख चुका है।

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