सिर थोड़ा भारी है, लेकिन कंधे पर जो तिरंगा है.... ISS पहुंचते ही शुभांशु शुक्ला का देश को खास संदेश
आईएसएस पहुंचते ही शुभांशु शुक्ला ऐसा करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। उन्होंने देश को खास संदेश में कहा- आसान लगता है, लेकिन सिर थोड़ा भारी है लेकिन मेरे कंधे पर जो तिरंगा है, उससे गर्व महसूस हो रहा है।

अंतरिक्ष की ऊंचाइयों में भारत का परचम एक बार फिर लहराया है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। Axiom-4 मिशन के तहत उन्होंने बुधवार को फ्लोरिडा के नासा लॉन्च सेंटर से स्पेसएक्स ड्रैगन यान में उड़ान भरी और 28 घंटे की यात्रा के बाद गुरुवार को सफलतापूर्वक ISS से डॉकिंग की।
"तिरंगा मेरे साथ है, और आप सब भी"
शुभांशु शुक्ला जब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पहुंचे, तो उनका पहला भावनात्मक बयान हर भारतीय के दिल को छू गया। अपने पहले संदेश में शुभांशु ने कहा, “यहां खड़ा होना जितना आसान दिख रहा है, असल में उतना नहीं है। सिर थोड़ा भारी लग रहा है, लेकिन सब ठीक है। यह सिर्फ शुरुआत है, अगले 14 दिन हम विज्ञान के कई प्रयोग करेंगे। मैं तिरंगा लेकर आया हूं और आप सभी को अपने साथ लाया हूं।”
'नमस्कार फ्रॉम स्पेस'
डॉकिंग से पहले अंतरिक्ष से भेजे एक भावुक संदेश में शुभांशु ने कहा, “स्पेस से सभी को नमस्कार। यह सिर्फ मेरी उपलब्धि नहीं है, बल्कि भारत के 140 करोड़ लोगों की सामूहिक सफलता है। अंतरिक्ष में तैरना एक अविश्वसनीय और विनम्र अनुभव है।”
"जैसे बच्चा चलना सीखता है..."
अपने पहले अंतरिक्ष अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “लगता है मैं यहां काफी सो रहा हूं! गुरुत्वाकर्षण रहित माहौल में खुद को संभालना सीख रहा हूं। लेकिन मज़ा बहुत आ रहा है। गलती करना यहां मजेदार है – और किसी और को करते देखना उससे भी ज़्यादा!”
14 दिन, 60 से अधिक प्रयोग
Axiom-4 मिशन के अंतर्गत शुक्ला और उनकी टीम – अमेरिका की पैगी विटसन, पोलैंड के सावोस उजनांस्की और हंगरी के तिबोर कपु – अगले 14 दिनों तक ISS पर विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में 60 से अधिक प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों में कैंसर रिसर्च, DNA रिपेयर और उन्नत निर्माण तकनीकों से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।
भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण
यह ऐतिहासिक मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक नया मील का पत्थर है, जो राकेश शर्मा के 1984 के मिशन के बाद मानव अंतरिक्ष यात्रा में भारत की वापसी का प्रतीक है।