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चुनाव आयोग से राहुल गांधी को झटका, पोलिंग स्टेशन के वीडियो फुटेज जारी करने से इनकार

कोई भी चुनाव परिणाम घोषित होने के 45 दिनों के बाद चुनौती नहीं दी जा सकती। इस अवधि से अधिक समय तक फुटेज रखने से इसका दुरुपयोग हो सकता है, जैसे कि कुछ लोगों की ओर से गलत सूचना और दुर्भावनापूर्ण बातें फैलाने के लिए।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानSat, 21 June 2025 04:14 PM
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चुनाव आयोग से राहुल गांधी को झटका, पोलिंग स्टेशन के वीडियो फुटेज जारी करने से इनकार

चुनाव आयोग ने पोलिंग स्टेशनों के वेबकास्टिंग फुटेज को सार्वजनिक करने की मांग को खारिज कर दिया है। ईसी की ओर से कहा गया कि यह मतदाताओं की गोपनीयता और सुरक्षा के लिए खतरा है। आयोग के अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि ऐसी मांगें भले ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा का दावा करें, लेकिन उनका असली मकसद इसके विपरीत है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950-1951 और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, यह मांग मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है। फुटेज साझा करने से मतदाताओं की पहचान उजागर हो सकती है, जिससे वोट देने या न देने वाले लोग दबाव, भेदभाव या धमकी का शिकार हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी बूथ में किसी पार्टी को कम वोट मिले तो वह सीसीटीवी फुटेज के जरिए मतदाताओं की पहचान कर उन्हें निशाना बना सकती है।

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आयोग 45 दिनों तक फुटेज रखता है, जो केवल आंतरिक इस्तेमाल के लिए है और चुनाव याचिका दायर करने की अवधि के तहत है। ईसी ने चेतावनी दी कि 45 दिनों से अधिक समय तक फुटेज रखने से इसका दुरुपयोग हो सकता है, जैसे गलत सूचना फैलाने के लिए। अगर इस अवधि में याचिका दायर होती है, तो फुटेज नष्ट नहीं किया जाता और अदालत को उपलब्ध कराया जाता है। मतदाता गोपनीयता को अटल मानते हुए आयोग ने कभी भी इस सिद्धांत से समझौता नहीं किया, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी समर्थन किया है।

चुनाव आयोग का क्या है तर्क

साल 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शाम 5 बजे के बाद के फुटेज जारी करने की विपक्षी दलों की मांग के जवाब में यह बयान आया है। दिसंबर 2024 में सरकार ने चुनाव नियम 93 में संशोधन कर सीसीटीवी और वेबकास्टिंग फुटेज को सार्वजनिक निरीक्षण से प्रतिबंधित कर दिया था। आयोग ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि अगर 45 दिनों में नतीजे को चुनौती नहीं दी जाती, तो फुटेज नष्ट कर दिया जाए। आयोग ने कहा कि रिकॉर्डिंग अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह आंतरिक प्रबंधन का हिस्सा है। सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाने के लिए फुटेज का इस्तेमाल हो सकता। इस स्थिति ने समीक्षा को जरूरी बना दिया है। आयोग ने साफ किया कि मतदाता गोपनीयता और सुरक्षा सर्वोपरि है।

राहुल गांधी ने रखी थी वीडियो की मांग

चुनाव आयोग के अधिकारियों की यह टिप्पणी राहुल गांधी के लिए झटका मानी जा रही है। हाल ही में उन्होंने चुनाव आयोग पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए पारदर्शिता की मांग की थी। उन्होंने आयोग से सभी राज्यों के हालिया लोकसभा और विधानसभा चुनावों की डिजिटल, मशीन-पठनीय मतदाता सूची और महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों से शाम 5 बजे के बाद की सीसीटीवी फुटेज जारी करने को कहा। राहुल ने दावा किया कि मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को जोड़ा गया और मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया, जिसे उन्होंने मैच फिक्सिंग करार दिया। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए जहर है और आयोग की विश्वसनीयता के लिए सच बोलना जरूरी है।

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