5 शतक, 835 रन...फिर भी हार गए! कप्तान शुभमन गिल क्या बहुत डिफेंसिव हो गए थे? पहली ही परीक्षा में फेल
लीड्स टेस्ट में भारत को इंग्लैंड के हाथों 5 विकेट से हार का सामना करना पड़ा है। शुभमन गिल अपनी टेस्ट कप्तानी में पहला मैच हार गए हैं। 5 मैच की सीरीज में अब इंग्लैंड को 1-0 की बढ़त मिल चुकी है। क्या इस हार के लिए कप्तान गिल का जरूरत से ज्यादा डिफेंसिव होना जिम्मेदार है?

इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट मैच की सीरीज का पहला मैच भारत ने गंवा दिया। एक ऐसा मैच जिसे नहीं हारना चाहिए था। क्रिकेट इतिहास में पहली बार किसी टीम की तरफ से टेस्ट में 5 शतक लगे, फिर भी हार गए। दोनों पारियों में 835 रन बनाए, फिर भी हार गए। हारे हुए मैच में दोनों पारियों को मिलाकर अब तक का चौथा सबसे बड़ा स्कोर। शुभमन गिल अपनी कप्तानी की पहली ही परीक्षा में फेल हो गए। सवाल उठने लगे हैं। लीड्स टेस्ट में भारत की हार में जरूरत से ज्यादा डिफेंसिव अप्रोच के लिए गिल कठघरे में हैं। कोहली से भी तुलना हो रही।
पूर्व क्रिकेटर संजय मांजरेकर मानते हैं कि शुभमन गिल बतौर कप्तान बहुत ही ज्यादा डिफेंसिव थे। वह साथ ही साथ इसे गिल की रणनीति भी करार देते हैं जो अपेक्षित नतीजे नहीं दे सकी।
जियोहॉटस्टार से बातचीत में संजय मांजरेकर ने कहा, 'बहुत से लोगों को लगा कि शुभमन गिल बहुत ज्यादा डिफेंसिव हो गए थे। लेकिन मुझे लगता है कि वह इंग्लैंड को जाल में फंसाना चाहते थे, इस उम्मीद में कि आखिरकार विकेट मिलेंगे।'
मांजरेकर ने ना-ना कहते गिल की तुलना विराट कोहली से भी कर दी। बताया कि अगर कोहली होते तो क्या करते।
संजय मांजरेकर ने कहा, ‘वैसे तो मैं विराट कोहली से तुलना करना पसंद नहीं करता क्योंकि शुभमन गिल युवा कप्तान हैं, लेकिन वह (कोहली) इतना डिफेंसिव फील्ड नहीं लगाता। विराट कोहली शायद कहते- हमारे पास पर्याप्त रन हैं, हम तुम्हें चाय से पहले ही ऑलआउट कर देंगे। अटैकिंग फील्ड से उसे विकेट मिलने की गारंटी भले ही नहीं होती, लेकिन वह वैसा ही करता।’
भारत की हार की एक बड़ी वजह खराब फील्डिंग रही। दोनों पारियों में इंग्लैंड के बल्लेबाजों के कई कैच छूटे। इंग्लैंड की दूसरी पारी में शतक ठोक प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड जीतने वाले बेन डकेट का 97 रन के स्कोर पर यशस्वी जायसवाल ने कैच छोड़ दिया। क्रॉली को भी जीवनदान मिला।
लीड्स टेस्ट में इंग्लैंड ने कोच ब्रेंडन मैकुलम के कार्यकाल में 18 टेस्ट में 12वीं बार लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत हासिल की है। इस मैच की चारों पारियों में 350 से ज्यादा रन बने। ऐसा टेस्ट इतिहास में सिर्फ तीसरी बार हुआ है।