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Yogini Ekadashi : योगिनी एकादशी आज, इस विधि से करें पूजा, करें ये खास उपाय

Yogini Ekadashi Puja Vidhi Upay : हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष 21 जून को शनिवार को है। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु उपवास रखकर श्रीहरि विष्णु भगवान की पूजा आराधना करेंगे।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 21 June 2025 08:24 AM
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Yogini Ekadashi : योगिनी एकादशी आज, इस विधि से करें पूजा, करें ये खास उपाय

Yogini Ekadashi : हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे योगिनी एकादशी कहा जाता है, इस वर्ष 21 जून को शनिवार को है। इस पावन अवसर पर श्रद्धालु उपवास रखकर श्रीहरि विष्णु भगवान की पूजा आराधना करेंगे। मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और रोग, दरिद्रता, दुख व कलंक का नाश होता है। इस एकादशी में पीपल पूजन और कथा श्रवण का भी विशेष महत्व है।

योगिनी एकादशी का महत्व : पुराणों में वर्णन मिलता है कि योगिनी एकादशी का व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है। यह व्रत विशेष रूप से स्वास्थ्य, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति हेतु किया जाता है। मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु इस दिन योग निद्रा में रहने के बावजूद अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं और उनके जीवन से कष्टों का निवारण करते हैं।

व्रत विधि और पूजन प्रक्रिया : व्रती एक दिन पूर्व दशमी को सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेते हैं। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान विष्णु का पीले पुष्प, तुलसी, धूप-दीप और पंचामृत से पूजन किया जाता है। दिनभर निर्जल या फलाहार व्रत रखते हुए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। शाम को विष्णु सहस्त्रनाम या योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ किया जाता है। द्वादशी के दिन गरीबों को अन्न, वस्त्र और दक्षिणा दान कर व्रत का पारण किया जाता है।

पीपल पूजन और तुलसी सेवा का भी महत्व: योगिनी एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन कर उसके नीचे दीप जलाना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इसके साथ ही तुलसी माता की सेवा करने से भगवान विष्णु विशेष प्रसन्न होते हैं।

व्रत से जुड़ी एक लोककथा : स्कंद पुराण के अनुसार, अलकापुरी के राजा कुबेर के रसोइए हेममाली ने अपने कर्तव्यों की अवहेलना कर रूद्रद्रव्य की चोरी की। उसके इस पाप के कारण उसे कोढ़ हो गया और वह धरती पर कष्ट झेलने लगा। नारद मुनि के कहने पर उसने योगिनी एकादशी का व्रत किया, जिससे उसे कोढ़ से मुक्ति मिली और पुन: दिव्य शरीर प्राप्त हुआ।

करें ये उपाय- योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी के पूजन के बाद तुलसी पूजन का अत्यंत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की पूजा करने के बाद तुलसी माता की विधिवत पूजा करनी चाहिए। तुलसी के सामने दीपक व धूप-दीप जलाएं। तुलसी मंत्रों का जाप करें और तुलसी के पौधे की सात बार परिक्रमा करना अत्यंत शुभ माना गया है।

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