Hindi Newsउत्तराखंड न्यूज़Crisis deepens on tigers in Uttarakhand, 7 died this year, know the reason and what is the matter of concern?

उत्तराखंड में बाघों पर गहराया संकट, इस साल 7 की मौत- जानिए वजह और क्या है चिंता की बात?

जबकि, पिछले साल भी नौ मौतों में से पांच बाघिनें थीं। बाघ की तुलना में बाघिन की अधिक मौतों ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। उनका कहना है कि बाघिन की मृत्यु अधिक होना गंभीर चिंता का विषय है।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, देहरादूनSat, 21 June 2025 09:39 AM
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उत्तराखंड में बाघों पर गहराया संकट, इस साल 7 की मौत- जानिए वजह और क्या है चिंता की बात?

उत्तराखंड में इस साल अब तक सात बाघों की मौत हुई है, जिनमें से पांच बाघिन हैं। इसके अलावा एक बाघ और एक शावक भी मारे गए। जबकि, पिछले साल भी नौ मौतों में से पांच बाघिनें थीं। बाघ की तुलना में बाघिन की अधिक मौतों ने विशेषज्ञों को चिंता में डाल दिया है। उनका कहना है कि बाघिन की मृत्यु अधिक होना गंभीर चिंता का विषय है।

बाघों की मौतों की क्या है वजह?

राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए दो बाघों के साथ तीन बाघिन को लाया गया है। एनटीसीए के आंकड़ों के अनुसार, इस साल उत्तराखंड में सात बाघों की मौत में से पांच बाघिन थीं, जिनकी मौत के कारण आपसी संघर्ष, बीमारी और सड़क हादसे हैं।

विशेषज्ञों ने बताई चिंता की वजह

विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी वन्यजीव प्रजाति में मादा की मौत नर की तुलना में कम होनी चाहिए। चाहे वह हाथी हो, गुलदार हो या बाघ, मादा की संख्या प्रजाति की वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है। इसलिए बाघिनों की अधिक मौतों के पीछे के कारणों का पता लगाकर प्रभावी कदम उठाना जरूरी है।

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अस्तित्व के लिहाज से है खतरनाक संकेत

भारतीय वन्यजीव संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कमर कुरैशी के मुताबिक किसी भी वन्यजीव में मादा की अधिक मौत चिंताजनक होती है। यह उनकी संख्या और प्रजाति के अस्तित्व के लिहाज से खतरनाक संकेत है। बाघिन की मौतों की असल वजह सामने आनी चाहिए, ताकि रोकथाम की जा सके। बाघिनों की मृत्यु बाघों से कम होनी चाहिए।

राजाजी टाइगर रिजर्व और बाघों का संरक्षण

यह हरिद्वार के शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में बसा है। यह टाइगर रिजर्व, राजाजी राष्ट्रीय उद्दान का हिस्सा है। इसका नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सी राजगोपालाचारी के नाम पर रखा गया था। उन्हें लोगों के बीच राजाजी के नाम से जाना जाता था। भारत में बाघों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर चलाया जा रहा है, इसे वन्यजीव संरक्षण पहल के तहत साल 1973 में शुरू किया गया था।

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