जेल भरो आंदोलन पर शुरू हुई लड़ाई FIR तक आई, आय से अधिक संपत्ति वाले बिजली कर्मियों पर ऐक्शन
निजीकरण के विरोध में जेल भरो आंदोलन के ऐलान पर शुरू हुई पावर कॉरपोरेशन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच लड़ाई अब एफआईआर तक आ पहुंची है।

निजीकरण के विरोध में जेल भरो आंदोलन के ऐलान पर शुरू हुई पावर कॉरपोरेशन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बीच लड़ाई अब एफआईआर तक आ पहुंची है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में सतर्कता अधिष्ठान ने तीन पदाधिकारियों, जितेंद्र सिंह गुर्जर, जय प्रकाश और चंद्र भूषण उपाध्याय पर एफआईआर दर्ज की है।
संघर्ष समिति ने कहा है कि एफआईआर पावर कॉरपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल के इशारे पर हुई है। संघर्ष समिति ने डॉ. गोयल पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की है। 22 जून को हुई महापंचायत में बिजली कर्मचारियों ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का टेंडर जारी होते ही जेल भरो आंदोलन शुरू करने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही पावर कॉरपोरेशन और संघर्ष समिति में खींचतान चल रही है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि साल 2023 में सतर्कता अधिष्ठान ने जांच शुरू की थी। छह पदाधिकारियों की जांच हो रही थी। निजीकरण के मसले पर जब कर्मचारी किसी भी धमकी से डरे नहीं तो अब डॉ. आशीष गोयल के इशारे पर एफआईआर करवा दी गई है।
हालांकि, एफआईआर में जो आरोप लगाए गए हैं, उनका जवाब कभी भी संगठन के पदाधिकारियों से मांगा तक नहीं गया। संघर्ष समिति ने कहा कि डॉ. गोयल की जयपुर, रानीखेत, ग्रेटर नोएडा, नोएडा, मथुरा के मकानों, जमीन और अन्य परिसम्पत्तियों की भी जांच विजिलेंस करे। संघर्ष समिति ने उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगाए हैं। शैलेंद्र दुबे ने कहा कि एफआईआर के पीछे की मंशा महज निजीकरण है। एफआईआर के आंकड़े मनगढ़ंत हैं। एफआईआर पदाधिकारियों को डारने और बदनाम करने के लिए करवाई गई है।
चेतावनी दिवस में कर्मचारियों से कहा, नहीं होने देंगे निजीकरण
पावर कॉरपोरेशन में आपातकाल लागू होने का आरोप लगाते हुए बिजली कर्मचारियों ने शुक्रवार को चेतावनी दिवस मनाया। सभी जिलों, परियोजनाओं और राजधानी लखनऊ में सभाएं हुईं। वक्ताओं ने कॉरपोरेशन प्रबंधन को चेतावनी दी कि उत्पीड़न, दमन और झूठे आंकड़ों के दम पर बिजली का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। चेतावनी सभा में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में सामूहिक जेल भरो अभियान चलाने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि जब ट्रांसफर, संविदा कर्मचारियों की छंटनी, कर्मचारी सेवा नियमावली में अलोकतांत्रिक संशोधन जैसे हथकंडे काम नहीं आए तो अब कॉरपोरेशन के चेयरमैन स्टेट विजिलेंस के माध्यम से एफआईआर करवाकर डराना चाहते हैं।