14 लोगों के माथे से हटा हत्या का कलंक, बेटा ही निकला कातिल; बेरोजगारी के तानों से था नाराज
बेटा ही पिता का कातिल निकला। गोरखपुर पुलिस के इस खुलासे से 14 लोगों के माथे से हत्या का कलंक हट गया। आरोपित ने पुलिस को बताया कि उसके पिता उसकी बेरोजगारी को लेकर ताना मारते थे और बार-बार कमाने के लिए बाहर जाने की बात करते थे। इसी से नाराज होकर उसने इस वारदात को अंजाम दिया।

गोरखपुर के चौरीचौरा क्षेत्र के बिलारी गांव में रविवार की देर रात राजेंद्र यादव (उम्र 65 वर्ष) की हत्या उनके ही मझले बेटे धर्मेंद्र यादव ने की थी। बुधवार को गिरफ्तार आरोपित बेटे की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में इस्तेमाल कुल्हाड़ी बरामद कर ली। उसने घर में ही खून लगी कुल्हाड़ी को छिपाया था। आरोपित ने पूछताछ में बताया कि पिता उसके बेरोजगारी को लेकर ताना मारते थे और बार-बार बाहर जाकर नौकरी करने का दबाव बना रहे थे। जबकि पत्नी की तबीयत खराब थी। वहीं, इस हत्याकांड के खुलासे से केस में आरोपित बनाए गए 14 लोगों के माथे से हत्या का कलंक भी हट गया।
पुलिस लाइंस में बुधवार को एसएसपी राजकरन नय्यर व एसपी नार्थ जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने प्रेस कांफ्रेंस कर घटना का पर्दाफाश किया। एसएसपी ने बताया कि 15 जून की रात में राजेंद्र यादव की हत्या कर दी थी। इस मामले में 16 जून को पुलिस ने बेटे धर्मेंद्र यादव की तहरीर पर दस नामजद व चार अज्ञात आरोपितों पर हत्या का केस दर्ज किया था। मौके पर सीन री-क्रिएशन कराया गया तो नामजद आरोपितों और हत्या के बीच कोई तालमेल नहीं मिल रहा था। इस वजह से पुलिस ने इस मामले के सही खुलासे की ओर कदम बढ़ाया और नामजद आरोपितों से पूछताछ करने के साथ ही उनकी सीडीआर लोकेशन निकाली गई, जो अलग मिला।
इसके बाद पुलिस ने इस मामले में घर पर रहने वाले वादी मुकदमा बेटे धर्मेंद्र यादव और सबसे छोटे बेटे मोहन यादव से अलग-अलग पूछताछ की तो दोनों ने अलग-अलग जानकारी दी। यहीं से पुलिस को बेटे पर संदेह हो गया और फिर धर्मेंद्र यादव को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो उसने जुल्म कबूल करते हुए घटना में इस्तेमाल कुल्हाड़ी को बरामद करा दिया। एसएसपी ने बताया कि इस पूरी घटना के सफल अनावरण की वजह से बेगुनाह लोग नहीं फंसने पाए। इसी वजह से पुलिस ने इस घटना के पर्दाफाश में जल्दबाजी नहीं की और वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ खुलासा किया गया।
हत्या का पछतावा, सोचा था कि विरोधी चले जाएंगे : हत्या करने वाले बेटे धर्मेंद्र को अब अपने किए पर पछतावा है। वह पुलिस वालों से गिड़गिड़ा रहा था कि एक बार माफ कर दें तो फिर जिंदगी में कोई गलती नहीं करेगा। उसने सोचा था कि हत्या करने के बाद उसे कोई ताना नहीं मारेगा तो वहीं जिस जमीन को लेकर पड़ोसी विवाद करते हैं, वह भी जेल चले जाएंगे तो उसका रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाएगा।
एफआईआर में लिखवाया था जमीन विवाद
धर्मेंद्र यादव ने हत्या करने के बाद दर्ज कराए गए एफआईआर में 14 लोगों को आरोपित बनाया था। उसने बताया था कि पूर्वजों के समय दी गई अतिरिक्त जमीन को पड़ोसी कब्जा करना चाहते थे और इसीलिए हत्या की गई। फौज में कार्यरत बड़ा भाई दिनेश यादव भी नामजद आरोपितों को जेल भेजने का दबाव बना रहा था। केस में आकाश यादव, राजकुमार, राहुल यादव, चौथी यादव, रामावती देवी, बहादुर, पुरुषोत्तम, बबिता देवी, रामसजन यादव, विरेंद्र यादव व अन्य चार लोगों को आरोपित बनाया गया था। जबकि, जिस जमीन का विवाद था, उसका समझौता हो चुका था। बड़ा भाई नौकरी पाने के बाद घर से अलग होकर अपना मकान बनवा चुका है।
केस में खुद चश्मदीद बनना चाहता था धर्मेंद्र
सीओ अनुराग सिंह ने बताया कि हत्या करने के बाद इस केस में धर्मेंद्र चश्मदीद बनने की भी कोशिश किया। उसने एफआईआर में लिखवाया कि पिता पर आरोपितों ने चाकू से वार किया तो उसकी नींद खुल गई। वह मौके पर गया तो आरोपितों ने उसके सामने भी चाकू से वार किया और फिर भाग गए। उसकी इसी कहानी पर पुलिस को संदेह हो गया था, क्योंकि भाई मोहन ने कुछ और ही बात पुलिस को बताई थी। उसने बताया था कि शोर सुनकर पहले वह गया और वहीं पर सोया भाई धर्मेंद्र बाद में आया था।