CAA-NRC प्रदर्शन में तोड़फोड़ के आरोपियों को राहत, नुकसान की वसूली पर हाईकोर्ट की रोक
सीएए और एनआरसी कानून के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने के दौरान तोड़फोड़ के आरोपियों को बड़ी राहत मिल गई है। योगी सरकार ने इन लोगों से वसूली का आदेश दिया था। नुकसान की भरपाई के लिए नोटिस जारी की गई थी। इस वसूली पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएए, एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोपियों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने इनके खिलाफ दावा अधिकरण मेरठ द्वारा 11 लाख रुपये से अधिक के अवार्ड के आदेश और वसूली पर रोक लगा दी है। रोक इस शर्त के साथ लगाई गई है कि याची अपने व्यक्तिगत अवॉर्ड की धनराशि का 50 प्रतिशत एक माह के भीतर जमा करेंगे। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। सोनू और 54 अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति अजित कुमार ने सुनवाई की।
याचियों के अधिवक्ता सैयद अली मुर्तजा का कहना था कि याचियों पर सीएए, एनआरसी के विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की वसूली के लिए जांच अधिकारी ने मेरठ दावा अधिकरण में याचिका दाखिल की। दावा अधिकरण ने रिकवरी का डैमेजेज ऑफ पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी एक्ट 2020 के तहत याचियों पर सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से 11,08,901 रुपये का अवॉर्ड जारी कर दिया। इसका एक माह में भुगतान करने का आदेश दिया।
अधिवक्ता का कहना था कि अधिकरण ने अवार्ड जारी करते समय 2020 के एक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं किया। जांच अधिकारी की पहल पर सामान्य दावा याचिका पोषणीय नहीं है। एक्ट में लोक संपत्ति और निजी संपत्ति की व्याख्या अलग अलग की गई है। निजी और लोक संपत्ति के नुकसान के लिए अलग अलग याचिका दाखिल करनी होगी। अधिकरण का उद्देश्य पहले नुकसान का आकलन करना है और फिर उसके अनुसार भरपाई के लिए अवॉर्ड तय करना है लेकिन अधिकरण ने ऐसा नहीं किया।
गौरतलब है कि सीएए और एनआरसी कानून को लेकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ था। इन प्रदर्शनों के दौरान कई जिलों में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ और आगजनी भी हुई थी। योगी सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदर्शन के दौरान तोड़फोड़ करने पर वसूली वाला कानून बनाया था। इसी के तहत प्रदर्शनकारियों से वसूली की कार्रवाई शुरू हुई थी।