अगर यही मुद्रा..., भीम आर्मी कार्यकर्ताओं से कान पकड़वाने पर भड़के अखिलेश यादव
प्रयागराज में रविवार को हुए बवाल को लेकर गिरफ्तार युवकों को कान पकड़ाकर जमीन में बैठाने को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गैरजिम्मेदाराना हरकत और नाइंसाफी करार दिया है। अखिलेश ने यहां तक कहा कि यह आदेश देने वाले को इसी तरह की मुद्रा बनवाई जाए तो उसे कैसा लगेगा।

प्रयागराज में आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष सांसद चंद्रशेखर आजाद को करछना और कौशांबी जाने से रोकने पर हुए बवाल के बाद गिरफ्तार युवकों को कान पकड़वाने पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अफसरों पर भड़क गए हैं। अखिलेश ने इसे अफसरों की गैरजिम्मेदाराना हरकत और युवकों के साथ नाइंसाफी करार दिया है। कहा कि भाजपा के राज में नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठाने पर अपमान मिलता है। कान पकड़ने का वीडियो पोस्ट कर पूछा कि इसका आदेश देने वाले से यही मुद्रा बनवाई जाए तो कैसा लगेगा।
रविवार को प्रयागराज में चंद्रशेखर को रोकने पर बवाल हो गया था। बड़ी संख्या में पुलिस के वाहनों में तोड़फोड़ की गई और कई बाइकों में आग लगा दी गई थी। हालांकि चंद्रशेखर आजाद ने भीम आर्मी की की तरफ से बवाल से इनकार किया था। बवाल के बाद रात से ही पुलिस ने भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं की धरपकड़ शुरू कर दी। दोपहर तक 51 लोगों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद जारी वीडियो और फोटो में यह कार्यकर्ता जमीन पर कान पकड़े बैठे दिखाई दे रहे हैं।
इसी वीडियो को एक्स पर शेयर कर अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधा है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा राज में नाइंसाफ़ी के खिलाफ आवाज़ उठाने पर न्याय नहीं, अपमान मिलता है। शासन-प्रशासन की इस गैर-ज़िम्मेदाराना हरकत के लिए अगर यही ‘विशेष मुद्रा’ ऐसे आदेश देने वालों से बनवायी जाए तो उन्हें कैसा लगेगा। अखिलेश ने इसे घोर निंदनीय भी कहा।
पराजय का डर ही षड्यंत्र रचता है
एक्स पर एक अन्य पोस्ट में अखिलेश बिहार में वोटर लिस्ट की जांच को लेकर चुनाव आयोग और सरकार पर निशाना साधा। अखिलेश ने कहा कि सबसे पहले उन ‘स्वयंसेवकों’ की पहचान उजागर की जाए जिनको बिहार व बंगाल में मतदाताओं के सत्यापन में लगाने की योजना रची जा रही है। यह सुनिश्चित किया जाए कि वो ‘स्वयंसेवक’ सत्ता पक्ष और उनके संगी-साथी से संबंधित किसी भी संगठन, मुख्यालय या शाखा से जुड़े हुए लोग नहीं हैं। उनके सोशल मीडिया एकाउंट्स की छानबीन करके ये निश्चित किया जाए कि वो किसी भी राजनीतिक दल से संबद्ध लोग नहीं हैं।
कहा कि संदिग्ध स्वयंसेवकों को किसी भी सूरत में इस जालसाज़ी का हिस्सा न बनने दिया जाए, चाहे इसके लिए कोर्ट का दरवाज़ा ही क्यों न खटखटाना पड़े। माना कि चुनाव आयोग को मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण का अधिकार है लेकिन ये कहीं नहीं लिखा है और न ही इसका कहीं कोई उदाहरण है कि उसमें आम लोगों को इस तरह ‘स्वयंसेवक’ बनाया जाएगा।
कहा कि जो मतदाता सूची पिछले जून में सही थी, वो इस जून में गलत कैसे हो सकती है। सत्तापक्ष हार के डर से ऐसा कर रहा है लेकिन बिहार, प. बंगाल और कल को उप्र में इस चालबाज़ी से भले कुछ वोट कम हो जाएं लेकिन भाजपा हारेगी और हमेशा के लिए हारेगी। कहा कि पराजय का डर ही षड्यंत्र रचता है।