झूलते बिजली के पोल और झूलती लाइन दे रही हादसों को न्योता
किसी समय अपने बूरे की मिठास की पहचान के लिए हाथरस सहित आस-पास के जिलों में अपनी पहचान रखने वाला शहर का हलवाई खाना बाजार की पहचान आज झूलती बंच लाइन और जर्जर हो चुके विद्युत खंभों के तौर पर हो रही है।

जर्जर हो चुकी बंच लाइन और खंभे हादसों को न्योता दे रही हैं। कई बार बंच लाइन में फॉल्ट होने की वजह से आग लगने और पोलों के गिरने की वजह से हादसे हो चुके हैं। स्थानीय व्यापारियों द्वारा इस संबंध में कई बार विद्युत विभाग के अधिकारियों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया, लेकिन इसके बाद भी आजतक समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। मंगलवार को हिन्दुस्तान के अभियान ‘बोले हाथरस’ के तहत टीम ने हलवाई खाना बाजार पहुंचकर व्यापारियों से संवाद कर उनकी समस्याओं को जाना।
व्यापारी कैलाश बाबू और नीरज वाष्र्णेय ने बताया कि हलवाई खाना बाजार शहर का सबसे पुराना और प्राचीन बाजार है। इस बाजार की पहचान यहां उन्होंने वाले बूरा कारोबार के लिए हुआ करती थी। घनी आबादी वाले इस बाजार से बूरा का कारोबार पूरी तरह से सिमट गया है। लेकिन बाजार में किराना, गुड़, चीनी, बूरा, प्लास्टिक क्रॉकरी आदि की 200 से अधिक दुकान हैं। पूरे दिन बाजार व्यापार से संबंधित बड़े-छोटे वाहनों में माल का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन सालों पहले डाली गई बंच लाइन और विद्युत खंभे आज पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। लक्ष्मण वाष्र्णेय और यादराम वर्मा ने बताया कि बंच लाइन जगह-जगह से झूल रही हैं और सड़क पर आ रही है। विद्युत खंभे नीचे से पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। खंभे इस कदर जर्जर हैं कि सड़क और बिल्डिंग पर आधा झुक गए हैं। कई बार लाइनों में फॉल्ट होने की समस्या बनी रहती है। बंच लाइन में फॉल्ट होने से आग लगने की घटना होना आम बात है। विद्युत खंभे गिरने की वजह से हादसे हो चुके हैं। खस्ताहाल बंच लाइन और बिजली के खंभों की वजह से स्थानीय व्यापारी और राहगीरों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हर समय हादसे का डर बना रहता है। कभी कभी कोई बड़ा हादसा न हो जाए। व्यापारियों ने बताया कि इस गंभीर समस्याओं को लेकर उनके द्वारा कई बार विद्युत विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी आजतक समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ। जिसके चलते व्यापारियों में काफी आक्रोश है। व्यापारियों का कहना है कि अगर जल्द से जल्द उनकी इस समस्या का समाधान नहीं होता है तो वह आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
किसी समय थी बूरे के बाजार के तौर पर पहचान
शहर की घनी आबादी वाले और पुराने शहर का हलवाई खाना का भी अपना एक अलग इतिहास है। हलवाई खाना यूं ही इस बाजार का नहीं पड़ा। इस बाजार में किसी समय 150 से अधिक बूरा तैयार करने की भट्टियां और दुकान हुआ करती थी। हाथरस के आस-पास के जिलों सहित प्रदेश के कई जिलों में यहां तैयार होने वाला बूरा सप्लाई हुआ करता था, लेकिन आज यहां से बूरा की मिठास पूरी तरह से सिमट गई है। बूरा की अधिकांश भट्टियां तो शांत हो गई हैं, लेकिन चंद दुकानों पर बड़ी-बड़ी कढ़ाई में मशीन से तैयार बूरा जरुर रखा हुआ विक्री के लिए आपको दिखाई दे जाएगा।
किराना से लेकर प्लास्टिक क्रॉकरी की अधिकांश दुकान
बूरे के लिए किसी समय प्रसिद्ध रहे शहर के हलवाई खाना बाजार में आज बूरे की दुकान सिमट कर रह गई हैं। लेकिन इस बाजार में 200 से अधिक दुकान हैं। जिसमें थोक से लेकर फुटकर की किराना और प्लास्टिक क्रॉकरी की दुकान है। शहर के अलावा जिले के सादाबाद, सहपऊ, मुरसान, सासनी, हाथरस जंक्शन, सिकंदराराऊ, हसायन, मैंडू आदि कस्बों के छोटे-बड़े व्यापारी प्रतिदिन यहां खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं।
जर्जर बंच लाइन और खंभों से बना रहता है हादसों का डर
घनी आबादी वाले हलवाई खाना बाजार में दो सौ से अधिक छोटी-बड़ी दुकान हैं। इसके अलावा दुकानों के ऊपर व्यापारी रहते हैं। कई साल पहले विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति मुहैया कराने और बिजली चोरी रोकने के लिए बंच लाइन डलवाई थी, लेकिन समय के समय यह बंच लाइन जर्जर हो गई। आज बंच लाइन से लेकर अधिकांश विद्युत पोल नीचे से पूरी तरह से गल चुके हैं। कई खंभे सड़क और मकानों पर झुक गए हैं। ऐसा ही कुछ हाल बंच लाइनों का जो बीच सड़क पर झूल रही हैं।
झूलती बंच लाइन और जर्जर खंभों से हादसों का डर
किराना से लेकर प्लास्टिक क्रॉकरी छोटी-बड़ी दुकान होने की वजह से हलवाई खाना में पूरे दिन हजारों की संख्या में छोटे-बड़े व्यापारी खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं। पूरे दिन छोटे-बड़े वाहनों में माल का लादन होता है, लेकिन झूलती बंच लाइन और खंभों की वजह से व्यापारी और राहगीरों को काफी ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बंच लाइन आए दिन वाहनों को छू जाती है। जिसके चलते हर समय वाहनों में करंट उतरने और हादसे होने का डर बना रहता है। ऐसे में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
लाइनों में फॉल्ट के चलते हो चुके हैं हादसे
जर्जर हो चुकी बंच लाइन में आए दिन फॉल्ट होते हैं। लाइन में फॉल्ट होने के बाद निकलने वाली चिंगारी से आग बंच लाइन में आग लगने की घटना हो रही हैं। साथ ही कई बार बंच लाइन में फॉल्ट होने के बाद दुकानों के बाहर लगे तिरपाल तक में आग पहुंच जाती है। जिसके चलते कई बार कई बार दुकानों के तिरपाल में भी आग लगने की घटना सामने आ चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी आजतक जिम्मेदार विभाग के अधिकारी नींद से नहीं जागे हैं। शायद किसी दिन कोई बड़ा हादसा होने के बाद अधिकारियों की नींद खुलेगी।
शिकायत और सुझाव
कई साल पहले बंच लाइन डलवाई गई थी।
समय के साथ बंच लाइन और खंभे जर्जर हो चुके हैं।
जर्जर बंच लाइन और खंभों की वजह से हादसों का डर बना रहता है।
शिकायत करने के बाद भी आजतक समस्या का समाधान नहीं हुआ।
सुझाव
जर्जर हो चुकी बंच लाइन और खंभे बदलवाए जाने चाहिए।
खस्ताहाल बंच लाइन और खंभों से होने वाले हादसे रोकने के लिए कदम उठाए जाएं।
लाइन में आए दिन फॉल्ट होने की वजह से विद्युत आपूर्ति बाधित रहती है।
जनप्रतिनिधि और विद्युत विभाग के अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
फैक्ट फाइल
200 लगभग हलवाई खाना बाजार में दुकान।
50 से 60 लाख रुपये का प्रतिदिन होता है कारोबार।
1000 की आबादी लगभग हलवाई खाना बाजार में रहती है।
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