Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़हाथरसGovernment should change the system, give jobs on merit as before

सरकार बदले व्यवस्था,पहले की तरह मेरिट से दे नौकरी

पैरामेडिकल कोर्स करने वाली छात्राएं रोग सोग मिटाकर आरोग्यता जीवन देने की तैयारी कर रही है। वह चाहती है कि कोर्स पूरा होने के बाद सरकार उन्हें सेवा का अवसर दे। यानि उन्हें हर हाल में नौकरी दे। कोराना काल में स्टाफ नर्सों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर लोगों की जिंदगी बचाई।

Sunil Kumar हिन्दुस्तानFri, 23 May 2025 06:06 PM
share Share
Follow Us on
सरकार बदले व्यवस्था,पहले की तरह मेरिट से दे नौकरी

सासनी के बरसे स्थित एबीजी पैरामेडिकल इंस्टीयूट में अध्यरनत छात्राएं अपने भविष्य को संभारने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है। जीएनएम और एएनएम करने के बाद वह नौकरी चाहती है कि जिस उद‘देश्य से वह इस पेशे में आ रही है उन्हें अवसर मिले। कोरोना काल में कालेज में अध्यनरत छात्राओं ने सरकारी और निजी अस्पतालों में निस्वार्थ भाव से मरीजों की देखभाल की। चाहे ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचानी हों, शहरी अस्पतालों में गंभीर मरीजों का इलाज करना हो या आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित सेवा देनी हो, इन महिलाओं ने अपनी प्रतिबद्धता साबित की है।

स्वास्थ्य सेवाओं का आधार होता है अस्पतालों का नर्सिंग स्टाफ

नर्सिंग स्टाफ किसी भी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र का आधार होता है। वे मरीजों की देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉक्टरों द्वारा निर्धारित उपचार योजना को लागू करना, मरीजों की दवाइयां देना, उनकी नियमित जांच करना और उनकी हर जरूरत का ध्यान रखना नर्सों की प्रमुख जिम्मेदारी होती है। उनका कार्य केवल शारीरिक देखभाल तक सीमित नहीं होता, वे मरीजों को मानसिक और भावनात्मक संबल भी प्रदान करती हैं। नर्सिग छात्रा शालू उपाध्याय कि नर्सिंग केवल एक पेशा नहीं, बल्कि सेवा का भाव है। जब कोई मरीज स्वस्थ होकर घर लौटता है तो यह उनकी मेहनत की सबसे बड़ी सफलता होती है।

मेडिकल कालेज बना तो मिलेगा रोजगार का अवसर

जिले में मेडिकल मंजूर हो गया है जोकि पीपी मॉडल पर बनेगा। अगर मेडिकल कालेज बनता है तो जिले की विभिन्न कालेजों में अध्यनरत छात्राओं के रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। भले ही नौकरी प्राइवेट मिले,लेकिन जो छात्राएं लाखों रुपये खर्च करके पढ़ाई कर रही है उन्हें निश्चित की मदद मिलेगी। इसलिए छात्राएं भी यहीं इंतजार कर रही है कि जल्द से जल्द मेडिकल कालेज की स्थापना होगा।

इंटर्नशिप के लिए लगाने पड़ते है चक्कर

बीएससी नर्सिग,जीएनएम और एएनएम की छात्राओं को इर्न्टरसिप करनी होती है। इसके लिए सरकारी जिला अस्पताल में इतनी जगह नहीं होती है कि एक साथ इतनी छात्राओं को प्रशिक्षण कराया जा सके। ऐसे में छात्राओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं उन्हें प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए पैसा देना पड़ता है। तब कहीं जाकर उन्हें प्रमाण पत्र मिल पाता है।

सुरक्षा को लेकर उठते रहे है सवाल

अस्पतालों में काम करने वाले स्टाफ की सुरक्षा को लेकर खूब मुददे उठते है। आये दिन सरकारी हो या निजी चिकित्सालय। हर जगह नर्सिग स्टाफ के साथ अभद्रता होती है। थानों में उनकी कोई सुनता नहीं है। आये दिन लोग जरा जरा सी बातों को लेकर हंगामा करते है। इसलिए खासकर महिलाएं चाहती है कि वह जहां भी नौकरी करे सुरक्षा व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए।

मेरिट के आधार पर मिले पहले की तरह नौकरी

पहले सरकार मेरिट के आधार पर नौकरी देती थी। यानि मेडिकल काउंसलि में पंजीकरण के आधार पर उम्र के हिसाब से सरकारी नौकरी देती थी,लेकिन अब सरकार आयोग के जरिए परीक्षा करा रही है। पेपर भी इतना कठिन होता है जैसे वह सिविल सेवा की परीक्षा देने के लिए आये है। सरकार कम जगहों पर भर्ती करती हे। इससे जीएनएम और एनएम करने वाले तमाम छात्र छात्राएं आज भी सालों से नौकरी का इंतजार कर रहे है। उन्हें कोई नौकरी देने वाला नहीं है।

12 से 14 घंटे तक सेवा करने को तैयार

नर्सिंग की छात्राओं का कहना है कि स्टाफ को कभी-कभी बहुत लंबी शिफ्ट में काम करना पड़ता है, लेकिन मरीजों की सेवा का जो संतोष मिलता है, वह हर थकान को दूर कर देता है। वह जानती है कि कई बार नर्सों को 12-14 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ती है, खासकर आपातकालीन स्थितियों में, लेकिन मरीजों की सेवा में जो खुशी मिलती है, वह हर कठिनाई को सार्थक बना देती है। नर्सिंग स्टाफ महामारी जैसी आपदाओं के दौरान भी अपनी जान जोखिम में डालकर सेवा करता है। यही कारण है कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का आधार माना जाता है। उनके बिना किसी भी अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र की कल्पना अधूरी है।

फिक्स किया जाये प्राइवेट अस्पतालों में मानदेय

छात्राएं चाहती है कि सरकार जब तक सरकारी नौकरी नहीं दे पा रही है। तब तक निजी चिकित्सालयों के लिए भी एक मानक तय करे कि इन कोसोर् को करने के बाद छात्र छात्राओं को कम से कम बीस हजार रुपये का मानदेय मिलेगा। यह मानदेय भी शहर के हिसाब से तय किया जाये। ताकि लाखों रुपये खर्च करने के बाद वह इतना पैसा कमा सके कि अपने परिवार का पालन पोषण कर सके।

फैक्ट फाइल

जिले में पैरा मेडिकल के चार कालेज

हर कालेज में हर वर्ग में 40 से 60 सीट निर्धारित

बीएससी नर्सिग में प्रवेश परीक्षा के आधार पर मिलता है प्रवेश

जिले में 8 सीएचसी और 30 पीएससी

165 हेल्थ् एण्ड वेलनेस सेन्टर

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें