बिजली महापंचायत में फैसला: टेंडर जारी होते ही होगा अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार और जेल भरो आंदोलन
निजीकरण के विरोध में रविवार को हुई बिजली महापंचायत में फैसला हुआ है। महापंचायत में फैसला हुआ कि बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी, रेल कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी, किसान और उपभोक्ता लामबंद होकर जन आंदोलन चलाएंगे।

निजीकरण के विरोध में रविवार को हुई बिजली महापंचायत में फैसला हुआ है कि प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारी, रेल कर्मचारी, सरकारी कर्मचारी, किसान और उपभोक्ता लामबंद होकर जन आंदोलन चलाएंगे और निजीकरण का टेंडर होते ही सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा। पहली बार निजीकरण के विरोध में बिजली के सभी हितधारक किसान, मजदूर, गरीब और मध्यम वर्गीय घरेलू उपभोक्ताओं ने एक साथ लामबंद होने की घोषणा की है। रेल कर्मचारियों के राष्ट्रीय नेता शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि अगर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों पर निजीकरण थोपा गया तो सारे देश के रेल कर्मचारी, बिजली कर्मचारियों के साथ प्रदेश की जेलें भर देंगे।
महापंचायत में शिव गोपाल मिश्र के अतिरिक्त संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल, उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक रमानाथ झा, नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स के संयोजक सुदीप दत्त, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के अध्यक्ष आरके त्रिवेदी, ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के एके जैन, अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लाम्बा, यूनाईटेड बैंक फोरम के वाईके अरोड़ा, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता वाई.एस लोहित और राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद एवं राज्य कर्मचारी महासंघ के सभी नेताओं ने लामबंद होकर निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों के साथ आंदोलन चलाए जाने का ऐलान किया। डॉ. दर्शन पाल और रमानाथ झा ने ऑनलाइन संबोधित किया। पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आरपी केन ने भी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति को समर्थन की घोषणा की।
आंदोलन की रूपरेखा
- दो जुलाई को देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। बिजली कर्मचारियों के साथ किसान और उपभोक्ता संगठन शामिल होंगे।
- 9 जुलाई को देश के 27 लाख बिजली कर्मी एक दिन की राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल करेंगे। किसान और उपभोक्ता संगठन समर्थन करेंगे।
ये प्रस्ताव हुए पारित
- राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बिजली सार्वजनिक क्षेत्र में रहना आवश्यक। निजीकरण के बाद बहुराष्ट्रीय निजी कंपनियों के आने से देश की बिजली ग्रिड सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
- ओडिशा, भिवंडी, औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर, मुजफ्फरपुर, गया, ग्रेटर नोएडा और आगरा आदि स्थानों पर निजीकरण का प्रयोग असफल रहा है और इस असफल प्रयोग को उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों की गरीब जनता पर थोपा जा रहा है, जिसे कदापि स्वीकार नहीं किया जाएगा।
- आगरा में निजीकरण के असफल प्रयोग से पावर कॉरपोरेशन को हर महीने एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। टोरेंट पावर कंपनी ने आगरा में पावर कॉरपोरेशन के 2200 करोड़ रुपये का बिजली राजस्व का बकाया हड़प लिया है, अब निजी घरानों की नजर पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 66 हजार करोड़ रुपये राजस्व बकाये पर है।
- निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों के आंदोलन का किसान, उपभोक्ता, श्रम संघ, शिक्षक संघ सक्रिय समर्थन करेंगे।
- टेंडर जारी होते ही उत्तर प्रदेश के सभी बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार व सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे, जिसका किसान और उपभोक्ता संगठन पुरजोर समर्थन करेंगे और बिजली कर्मियों के साथ सड़क पर निकल कर व्यापक जन आंदोलन शुरू कर देंगे।
भ्रष्टाचार के आरोप, सीबीआई जांच की मांग
महापंचायत में जुटे कर्मचारी संगठनों ने निजीकरण की आड़ में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। सलाहकार कपंनी की नियुक्ति को अवैध करार दिया गया। कहा गया कि अवैध नियुक्ति और गलत आरएफपी बनवाने में पावर कॉरपोरेशन चेयरमैन, निदेशक वित्त और शासन के कुछ आला अधिकारी शामिल हैं। आरएफपी पर नियामक आयोग ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बिजली महापंचायत में मांग हुई कि अवैध ढंग से नियुक्त सलाहकार, बढ़ा-चढ़ा कर आर एफ पी डॉक्यूमेंट में दिखाया गया घाटा और फर्जी आंकड़ों को बनाने वाले अधिकारियों की सीबीआई जांच कराई जाए।