यूपी में बर्ड फ्लू: 2 रिपोर्ट निगेटिव फिर भी नहीं सुधरी बाघिन मैलानी की हालत, किडनी-लिवर खराब
गोरखपुर चिड़ियाघर में 23 मई को बाघिन मैलानी में बर्ड फ्लू संक्रमण की पुष्टि हुई थी। तभी से उसे क्वारंटीन सेंटर में रखा गया है। विशेषज्ञों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा है, लेकिन कुछ खास असर नहीं है। चिड़ियाघर के मुताबिक, मैलानी की आंखें कमजोर हो गई हैं, जिसकी वजह से उसे देखने में भी दिक्कत है।

बर्डफ्लू की दो रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी बाघिन मैलानी की सेहत में सुधार नहीं हो रहा है। मैलानी की किडनी और लिवर काफी खराब हो चुका है। उम्र अधिक होने की वजह से इलाज में भी दिक्कत हो रही है। इसे लेकर गोरखपुर का चिड़ियाघर प्रशासन चिंता में है। एक बार फिर सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजा गया है।
गाचिड़ियाघर में 23 मई को बाघिन मैलानी में बर्ड फ्लू संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद से ही उसे क्वारंटीन सेंटर में रखा गया है। विशेषज्ञों की निगरानी में उसका इलाज चल रहा है, लेकिन कुछ खास असर नहीं है। चिड़ियाघर के मुताबिक, मैलानी की आंखें कमजोर हो गई हैं, जिसकी वजह से उसे देखने में भी दिक्कत है। इसके अलावा किडनी और लिवर में भी कई तरह की दिक्कतें सामने आ गई हैं। गत 26 मई और छह जून को बर्ड फ्लू जांच के लिए फिर मैलानी का सैंपल राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल भेजा गया था, जहां से दोनों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है। ऐसे में बर्ड फ्लू का खतरा विशेषज्ञ नहीं बता रहे हैं।
चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि मैलानी की उम्र अधिक है। मौजूदा समय में वह 13 साल के आसपास की है। उम्र अधिक होने की वजह से किडनी और लिवर में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से उसकी खुराक बेहद कम हो गई है। कई बार वह दिन में खा भी नहीं रही है।
बाघिन शक्ति की हुई थी बर्ड फ्लू से मौत
शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान में बाघिन शक्ति की मौत में बर्ड फ्लू से हुई थी। इसके बाद चिड़ियाघर प्रशासन ने दूसरे जानवरों का सैंपल जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च पशु रोग संस्थान, भोपाल भेजा था। गत 23 मई को आई रिपोर्ट में बाघिन मैलानी, तेंदुए के दो शावक, हिमालयन गिद्ध और कॉकाटील में संक्रमण की पुष्टि हुई। इसमें एक कॉकाटील की मौत हो गई थी। अन्य जानवरों का इलाज क्वारंटीन सेंटर में किया जा रहा है। सभी की रिपोर्ट दो बार निगेटिव आ चुकी है। एहतियात के तौर पर एक बार फिर सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजा गया है।
23 दिनों बाद हटी मुर्गों की बिक्री से रोक
बर्ड फ्लू की मार झेल रहे पोल्ट्री फार्म संचालकों को राहत देते हुए जिलाधिकारी कृष्णा करुणेश ने 23 दिनों से चली आ रही बिक्री पर रोक को हटा लिया है। रोक हटने की सूचना के साथ पूरे शहर में मुर्गों की दुकानें गुलजार हो गईं। हालांकि जहां बर्ड फ्लू का संक्रमण मिला था, वहां से एक किलोमीटर के दायरे में अभी भी बिक्री पर प्रतिबंध रहेगा।
31 मई को चिड़ियाघर, झुंगिया बाजार, एल्युमिनियम फैक्ट्री, तारामंडल और भगत चौराहा एरिया में मुर्गा के दुकानों पर लिए गए सैंपल में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। जिसके बाद जिलाधिकारी ने 20 जून तक के लिए 10 किलोमीटर के सर्विलांस एरिया में बिक्री पर रोक लगा दिया था। पिछले 24 दिनों में 2000 से अधिक पक्षियों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद प्रशासन ने बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का निर्णय लिया है। पशुपालन विभाग के मुताबिक, जिन पांच स्थानों पर बर्ड फ्लू के संक्रमण की पुष्टि हुई है, वहां से एक किमी के दायरे में बिक्री पर प्रतिबंध हटने में समय लग सकता है।
नया चूजा नहीं डाल रहे संचालक
बिक्री से प्रतिबंध हटने के बाद भी पोल्ट्री फार्म संचालक नया चूजा डालने को तैयार नहीं है। जिस चूजे की लागत 26 रुपये आती है, उसे खरीदने के लिए संचालक 9 रुपये देने को तैयार नहीं है। थोक कारोबारी विनोद सिंह का कहना है कि अगले महीने से सावन शुरू होने वाला है। ऐसे में डिमांड में काफी गिरावट आ जाएगी। थोक में मुर्गा 75 रुपये किलो व फुटकर में 150-200 रुपये किलो तक बिक रहा है।
क्या बोले पशु चिकित्सक
गोरखपुर के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ.धर्मेन्द्र कुमार पांडेय ने कहा कि पिछले 24 दिन में सभी जांच रिपोर्ट बर्ड फ्लू से मुक्त मिली हैं। मुर्गों की बिक्री से प्रतिबंध हटा लिया गया है। हालांकि जहां संक्रमण मिला है, वहां से एक किलोमीटर के दायरे में अभी भी रोक रहेगी।