डूबती हुई रघुवीरपुरी को बचाएगा कौन
शहर के सबसे पुराने और घनी आबादी वाले इलाकों में शामिल रघुवीरपुरी इन दिनों नाले की बदहाल स्थिति से परेशान है। खुले नाले में गंदगी, कूड़ा और कवाड़ा डालने से यह न सिर्फ बदबू का स्रोत बन गया है बल्कि बारिश के दिनों में पूरा इलाका जलमग्न हो जाता है।
रघुवीरपुरी से होकर गुजरने वाला यह नाला सराय रहमान, अशोक नगर और गूलर रोड पोखर तक जाता है। रास्ते में ये कई घनी आबादी वाले मोहल्लों से होकर गुजरता है। खुला होने के कारण इसमें लगातार घरेलू कचरा, टूटे-फूटे सामान और मिट्टी के कट्टे डाले जाते हैं। बारिश के दिनों में जब नाला ओवरफ्लो करता है, तो घरों के अंदर तक पानी भर जाता है। गलियों में गंदा पानी और कीचड़ जमा हो जाता है, जिससे स्थानीय लोगों की दिनचर्या प्रभावित होती है।
हिन्दुस्तान समाचार पत्र के अभियान बोले अलीगढ़ के तहत शनिवार को टीम ने रघुवीरपुरी में स्थानीय लोगों से संवाद किया। स्थानीय लोगों की मानें तो वर्ष 1989 में तत्कालीन प्रशासन ने नाले की पूरी सफाई कराई थी। जिसमें बड़े घरेलू सामान तक निकले थे। लेकिन उसके बाद से अब तक कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की गई है। सफाई की प्रक्रिया केवल कागजों तक सीमित रह गई है। नाले की स्थिति अब इतनी खराब हो चुकी है कि इसमें पानी बहना तक मुश्किल हो गया है। स्थानीय नागरिकों ने कई बार आंदोलन, जाम और प्रदर्शन कर इस समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान खींचा। लेकिन, बार-बार आश्वासन मिलने के बाद भी अब तक कोई ठोस कार्य नहीं हो पाया है। लोग नाले के ऊपर पुलिया निर्माण या इसके पाटने की मांग कर रहे हैं ताकि कूड़ा डालने की प्रवृत्ति रुके और क्षेत्र को गंदगी से मुक्ति मिल सके। लंबे समय से सफाई न होने के कारण अब नाले में बहाव बंद हो चुका है। इसके चलते बारिश के दौरान पानी की निकासी नहीं हो पाती, जिससे सड़कों और घरों में पानी भर जाता है। साथ ही, खुला नाला बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा भी बना हुआ है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि ‘बोले अलीगढ़’ अभियान के माध्यम से उनकी आवाज प्रशासन तक पहुंचे और जल्द समाधान निकले।
बीमारी का अड्डा बना नाला
रघुवीरपुरी के बीच से गुजरने वाला यह मुख्य नाला आज गंदगी, दुर्गंध और संक्रमण का स्रोत बन चुका है। खुला नाला होने के कारण इसमें लगातार कूड़ा, मिट्टी, प्लास्टिक और टूटा-फूटा सामान डाला जा रहा है। यह नाला न सिर्फ बदबू फैला रहा है बल्कि आसपास के लोगों की सेहत पर भी गंभीर असर डाल रहा है। डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। बदबू के कारण खाना खाना मुश्किल, सांस लेना दूभर हो जाता है। इलाके के नागरिक इसे 'बर्बादी की नाली' कहकर संबोधित करने लगे हैं। जब तक इसे ढंका नहीं जाएगा और नियमित सफाई नहीं होगी, यह नाला बीमारी का अड्डा ही बना रहेगा।
शिकायत
-हर साल सफाई का वादा होता है, लेकिन नाले की हालत जस की तस है।
-नाले से उठती बदबू से पूरा मोहल्ला बीमार हो रहा है।
-बारिश में घरों के अंदर तक गंदा पानी भर जाता है।
-बच्चे और बुजुर्ग नाले के पास से गुजरने में डरते हैं।
-सफाईकर्मी आते हैं लेकिन नाले के अंदर उतरने से कतराते हैं।
-नाले में कूड़ा डालने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
-नाले की वजह से इलाके में मच्छर और बीमारियां बढ़ गई हैं।
-नाले का पानी गलियों में फैलकर लोगों की आवाजाही रोक देता है।
सुझाव
-नाले को ढक दिया जाए ताकि लोग उसमें कूड़ा न डाल सकें।
-बारिश से पहले पूरी सफाई की स्थायी योजना बनाई जाए।
-नाले के आसपास चेतावनी बोर्ड और दीवारें बनाई जाएं।
-घर-घर जाकर नाले में कूड़ा न डालने की जागरूकता फैलाई जाए।
-वार्ड स्तर पर नाले की मॉनिटरिंग के लिए समिति बनाई जाए।
-प्रशासन मोबाइल ऐप से शिकायत दर्ज करने की सुविधा दे।
-नाले की नियमित सफाई के लिए स्थायी सफाई दल नियुक्त किया जाए।
-बायोएंजाइम या अन्य तकनीकों से नाले की गंदगी कम की जाए।
बोले नागरिक
हर साल बरसात से पहले बड़े-बड़े दावे होते हैं कि नाले साफ कर दिए जाएंगे, लेकिन जमीन पर कुछ नहीं होता। बारिश में घरों के अंदर पानी घुस आता है। नाले से इतनी बदबू आती है कि सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
नरेंद्र व्यास
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हम बच्चों को बाहर खेलने तक नहीं भेज सकते, क्योंकि गली में हर जगह गंदा पानी भरा रहता है। मच्छर, दुर्गंध और कीचड़ से परेशान हैं। नाला पाट दिया जाए तो कूड़ा भी नहीं डाला जाएगा और सफाई बनी रहेगी।
डॉ. सुरेश वार्ष्णेय
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पिछले हफ्ते की बारिश में हमारा सारा फर्नीचर खराब हो गया क्योंकि नाले का पानी सीधे घर में घुस गया। हम हर साल यही झेलते हैं। प्रशासन से कई बार शिकायत की लेकिन बस आश्वासन ही मिला, कोई ठोस काम नहीं हुआ।
भोला शंकर वार्ष्णेय
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नाला न तो समय से साफ होता है, न ही कोई ढक्कन है। लोग इसमें जानबूझकर कूड़ा डालते हैं। बरसात आते ही सब जगह पानी-पानी हो जाता है। गलियों में चलना मुश्किल हो जाता है, बीमारियां फैलने लगती हैं।
उदय राम भारती
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नाले की सफाई अगर समय से हो जाए तो बारिश में इतनी परेशानी नहीं होगी। लेकिन जब तक शिकायत न हो, विभाग सोता रहता है। जलभराव का स्थायी समाधान चाहिए। केवल कागजों पर योजनाएं बनाने से काम नहीं चलेगा।
विनोद कुमार
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बरसात में हर बार हम दवाइयों और मच्छर मारने की दवाओं का सहारा लेते हैं। घर के बाहर गंदा पानी जमा रहता है। नाले की स्थिति बेहद खराब है। इसकी मरम्मत और ढंकने का स्थायी प्रबंध किया जाना चाहिए।
आशीष कुमार
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गली के बच्चों को डेंगू हो गया क्योंकि हर जगह गंदा पानी जमा था। सफाईकर्मी आए भी तो सिर्फ दिखावे के लिए झाड़ू चला कर चले गए। जब तक नाले को ढंका नहीं जाएगा, ये समस्याएं बार-बार आती रहेंगी।
राहुल
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नाले में हर तरह का कचरा है, जिससे पानी का बहाव बंद हो गया है। बारिश में यह नाला ओवरफ्लो करता है और सड़कें नदियों में बदल जाती हैं। बहुत बार फोन किया निगम में लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
अनिल तिवारी
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बारिश के समय घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। चप्पल तक कीचड़ में फंस जाती है। कई बार फिसल कर लोग चोटिल भी हो चुके हैं। नाले की दुर्गंध और मच्छरों से बुरा हाल है। हालात बदतर होते जा रहे हैं।
राजीव वार्ष्णेय
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हर साल यही हालत होती है लेकिन कोई नहीं सुनता। नाला गंदगी से अटा पड़ा है और सफाई वाले साल में एक बार झाड़ू लगाकर चले जाते हैं। यहां के लोग खुद कूड़ा न डालें, इसके लिए जागरूकता भी जरूरी है।
राजकुमार
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रघुवीरपुरी का यह नाला अब नाला नहीं, गंदगी का ढेर बन चुका है। गलती जनता की भी है, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता सबसे बड़ी वजह है। अगर ढक्कन होता तो इसमें कुछ भी डालना संभव नहीं होता।
मुकेश गुप्ता
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गली में पानी भरने के कारण दुकानों में ग्राहक नहीं आते। व्यापार प्रभावित होता है। हम कितनी बार नगर निगम को अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक केवल एक लाइन का जवाब मिलता है-फंड नहीं है।
सुधांशु कौशिक
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हम बुजुर्ग लोग इस गंदगी में कैसे चलें? कहीं पैर फिसल गया तो कौन जिम्मेदार होगा? नाला सिर्फ गंदगी नहीं, अब खतरा बन गया है। इसकी हालत देखकर लगता ही नहीं कि ये शहर के बीच का इलाका है।
पंकज सारस्वत
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हर साल बच्चे बीमार पड़ते हैं क्योंकि घर के आसपास कीचड़, मच्छर और बदबू रहती है। अब तो हालात इतने खराब हैं कि बारिश से डर लगने लगा है। नाले की सफाई और मरम्मत सबसे जरूरी काम है।
कपिल अग्रवाल
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कई सालों से कहा जा रहा है कि नाले को ढका जाएगा, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। स्थानीय नेता आकर फोटो खिंचवाते हैं और चले जाते हैं। काम कब होगा, कोई नहीं जानता। जनता बेबस हो चुकी है।
डॉ. राकेश सारस्वत
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बरसात में जब पानी घुटनों तक भर जाता है, तो सब दावे खोखले लगते हैं। कोई अफसर देखने तक नहीं आता। कई बार शिकायत की, ट्विटर पर लिखा, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। हर साल ऐसे ही जीना पड़ता है।
लक्ष्मण दास गुप्ता
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नाले से निकलती गैस और बदबू से कई बार उल्टी तक हो जाती है। गंदगी ऐसी कि भूख मर जाती है। बच्चों के लिए यह बहुत खतरनाक है। स्कूल जाने में तकलीफ होती है। जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं।
प्रीतम
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नाले का पानी नालियों में उल्टा भर जाता है और घरों में घुस जाता है। सारा सामान बर्बाद हो जाता है। सफाईकर्मी भी डरते हैं इस नाले में उतरने से। जब तक पक्का समाधान नहीं होगा, परेशानी बनी रहेगी।
संजय सिंह
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हमने खुद मिलकर नाले की सफाई करवाई थी एक बार। लेकिन अगले ही दिन फिर से कूड़ा भर गया। जब तक सिस्टम में सुधार नहीं होगा और निगरानी नहीं होगी, तब तक कोई स्थायी सुधार नहीं हो सकता।
करन
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यह इलाका बीमारी का घर बन गया है। गंदा पानी, बदबू और मच्छर हर जगह हैं। नाले को ढंकना और इसके किनारों पर सीमेंट लगवाना बहुत जरूरी है। प्रशासन को अब नींद से जागना होगा।
मृदुल शर्मा
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हर साल कह दिया जाता है कि बजट की कमी है। लेकिन बाकी विकास कार्यों के लिए पैसा कहां से आ जाता है? गरीब इलाकों की अनदेखी हो रही है। यह नाला सिर्फ एक जलनिकासी का साधन नहीं, यहां की जानलेवा समस्या है।
मो. शाहिद
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रघुवीरपुरी के लोग हर बारिश से पहले डरते हैं, कहीं फिर से घर में पानी न भर जाए। नाले की सफाई नाम मात्र की होती है। प्रशासन की लापरवाही से हर साल लाखों का नुकसान झेलना पड़ता है।
मो. मुकर्रम
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गंदगी और बदबू के कारण कई बार रिश्तेदार तक आने से मना कर देते हैं। हमारे बच्चों का बचपन इस बदबू और गंदे पानी में बीत रहा है। यह कोई जीवन नहीं है। प्रशासन को फौरन एक्शन लेना चाहिए।
राजा
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गूलर रोड पोखर तक जाने वाले इस नाले की हालत ऐसी है कि कोई भी इसमें गिर सकता है। बच्चे कई बार बाल-बाल बचे हैं। ऊपर से कोई सुरक्षा नहीं है, कोई चिन्ह तक नहीं लगाया गया है। यह सीधी लापरवाही है।
रामेश्वर गुप्ता
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नाले के किनारे लोगों ने अपने घरों के सामने खुद दीवारें बनवाई हैं ताकि पानी घर में न आए। यह नगर निगम की जिम्मेदारी है, लेकिन लोग अपनी सुरक्षा खुद कर रहे हैं। ये हालात बेहद शर्मनाक हैं।
चंद्र प्रकाश
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जब भी बारिश आती है, लोग बाहर निकलकर अपने घर के सामने से पानी निकालते हैं। पूरी रात नींद नहीं आती। एक खुला नाला हजारों की नींद, सेहत और शांति छीन लेता है। हम कब तक सिर्फ सहते रहेंगे।
सत्यप्रकाश गोयल
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