सजा का ऐलान होते ही संकट में अब्बास अंसारी की विधायकी, अफसरों को धमकाना पड़ा भारी
अब्बास अंसारी ने कहा था कि चुनाव के बाद यदि सरकार बनी तो किसी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। उन्हें रोककर हिसाब-किताब बराबर किया जाएगा। इसे लेकर पुलिस ने मऊ कोतवाली में अब्बास के खिलाफ FIR दर्ज की थी।

यूपी के बाहुबली रहे मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी फिर संकट में हैं। अब्बास को 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ के पहाड़पुरा मैदान में दिए नफरती बयान के लिए दोषी करार दिए जाने के बाद 2 साल कारावास की सजा के साथ ही जुर्माना लगाया गया है। नियमों के मुताबिक 2 साल या 2 साल से अधिक की सजा होने पर तो विधायकी या सांसदी जा सकती है। यही नहीं 2027 में भी अब्बास के चुनाव लड़ने की राह में कानूनी अड़चनें आ सकती हैं। अब्बास अंसारी, 2 साल 6 महीने जेल में रहने के बाद इसी साल मार्च महीने में गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत पर बाहर आए थे। हेट स्पीच मामले में सजा सुनाए जाने के बाद उनकी जेल वापसी हो रही है। अफसरों के खिलाफ नफरती बयान देना उन्हें धमकाना अब्बास को भारी पड़ गया। हालांकि सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद अब्बास के वकीलों ने सीजेएम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है। वे फौरी राहत पाने की कोशिश कर रहे हैं।
जिस बयान के लिए अब्बास को दोषी करार दिया गया है, उसे उन्होंने 3 मार्च 2022 को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान दिया था। मऊ के पहाड़पुर में हुई एक जनसभा में अब्बास अंसारी ने सरकार बनने पर अफसरों को देख लेने की धमकी दी थी। अब्बास अंसारी ने कहा था कि चुनाव के बाद यदि सरकार बनी तो किसी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। उन्हें रोककर हिसाब-किताब बराबर किया जाएगा। इसे लेकर पुलिस ने मऊ कोतवाली में अब्बास के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
एसआई गंगाराम बिंद की शिकायत पर यह केस दर्ज किया गया था। यह बयान सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने अब्बास अंसारी के चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे के लिए रोक लगा दी थी। यूपी पुलिस द्वारा केस दर्ज किए जाने के बाद इस मामले में सुनवाई चल रही थी। अब उन्हें मामले में दोषी करार दिया गया है। अब्बास अंसारी और उनके इलेक्शन एजेंट मंसूर अंसारी के खिलाफ मुकदमा धारा 506, 171एफ, 186, 189, 153ए और 120बी के तहत केस दर्ज किया गया था। हेट स्पीच मामले में सीजेएम डॉ.केपी सिंह की अदालत ने फैसला सुनाया है।
2022 में इसलिए हुई थी गिरफ्तारी
विधायक अब्बास अंसारी 2022 के विधानसभा चुनाव में मऊ सीट से सुभासपा के उम्मीदवार थे। वह चुनाव सुभासपा ने सपा से गठबंधन करके लड़ा था। चुनाव में अब्बास अंसारी की जीत हुई थी। लेकिन कुछ समय बाद ही उन पर कानून का शिकंजा कस गया। नवंबर 2022 में अब्बास अंसारी को आपराधिक गतिविधियों और अवैध वित्तीय लेन-देन में शामिल रहने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। ईडी ने उनके खिलाफ जांच कर मनी लॉन्ड्रिंग और गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। लंबेस समय तक जेल में रहने के बाद अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास को 7 मार्च 2025 को जमानत दी थी।