SCO सम्मलेन में हिस्सा लेने पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को वहां पेश किए गए दस्तावेजों पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया है। रक्षा मंत्री ने जिन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया उनमें पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र नहीं था।
विदेश मंत्री से एक रणनीतिक विशेषज्ञ के साथ बातचीत में पिछले 11 वर्षों में अमेरिका और चीन के रुख में आए बदलावों के बारे में भी पूछा गया और पूछा गया कि नयी दिल्ली इस बदलाव को कैसे देखती है।
Jaishankar: फ्रांस की यात्रा पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि फ्रांस कई मायनों में भारत का सबसे विश्वसनीय साझेदार है। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए घटनाक्रम में किन देशों ने कैसा व्यवहार किया उसका असर भारत के आगामी फैसलों पर निश्चित तौर पर होगा।
जयशंकर के बयानों से स्पष्ट है कि भारत का रुख व्यक्तिगत नेतृत्व से अधिक राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। उन्होंने यूरोपीय देशों को आतंकवाद के प्रति उदासीनता के खिलाफ चेतावनी भी दी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोपीय संसद के नेताओं से मुलाकात की और मजबूत भारत-ईयू संबंधों के लिए उनके समर्थन का स्वागत किया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ बचाव के भारत के अधिकार को लेकर उनकी समझ की प्रशंसा की।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे पर सटीक हमले किए थे।
भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपना रहा है, उम्मीद है कि हमारे साझेदार इसे समझेंगे। यह बात भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री के साथ बातचीत के दौरान कही।
एस जयशंकर से भारत-पाक सैन्य टकराव में चीन की भूमिका पर सवाल पूछा गया। जवाब में उन्होंने कहा कि वे दोनों देश बहुत करीब हैं और बाकी तो आप सब जानते हैं। उन्होंने पाकिस्तान से परमाणु युद्ध की संभावना पर भी बयान दिया।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की ओर से 6-7 मई को पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले का सैन्य अभियान था। इसका कारण 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला रहा, जिसमें 26 नागरिक मारे गए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हमारी सेना ने जिस तरह से पाकिस्तान के मुख्य एयरबेस और डिफेंस सिस्टम पर अटैक किया था, उससे वह घुटने पर आ गया। अंत में पाकिस्तान के ही सैन्य अधिकारियों ने भारत के डीजीएमओ को कॉल किया और सीजफायर की गुहार लगाई। हमारी तरफ से सीजफायर इस तरह से मंजूर हुआ।