खरगे ने मांग की है कि संविधान संशोधन के माध्यम से लिमिट खत्म की जाए। इसके अतिरिक्त निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण की मांग दोहराई है। दरअसल जाति जनगणना के बाद कई मसलों पर राजनीति तेज हो सकती है। ऐसे में अगले कुछ साल इस लिहाज से अहम होंगे।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब 3 जुलाई 2015 को जाति जनगणना रिपोर्ट पेश की गई थी तो 16 जुलाई को नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई थी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया।
शाहनवाज हुसैन ने कहा है कि जातिगत जनगणना पर तेजस्वी यादव, राहुल गांधी और अखिलेश यादव को बोलने या राजनीति करने का कोई हक नहीं है। इन लोगों में पीएम के कार्य पर क्रेडिट लेने की होड़ मची है।
आखिरी बार 1931 में जाति जनगणना हुई थी। तब आज के पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत का हिस्सा हुआ करते थे। ब्रिटिश इंडिया में हुई इस जाति जनगणना में ओबीसी जातियों की आबादी 52 फीसदी पाई गई थी, जबकि देश भर की जनसंख्या उस वक्त 27 करोड़ थी। इसी के आधार पर मंडल कमीशन ने सिफारिशें दी थीं।
केंद्र सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले की पहली परीक्षा बिहार में होगी। राज्य में इस साल होने वाले विधासनभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन में किसको इसका फायदा पहुंचेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
Andhra High Court: आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने एक एससी एसटी एक्ट के एक केस को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि व्यक्ति खुद ही इस बात को स्वीकार कर रहा है कि वह पिछले दस सालों से ईसाई धर्म का पालन कर रहा है और पादरी है। ऐसे में उसे इस अधिनियम का संरक्षण नहीं दिया जा सकता।
पटना में जेडीयू, आरजेडी, कांग्रेस ने पोस्टर लगाकर केंद्र सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले का श्रेय अपने-अपने नेताओं (नीतीश, लालू-तेजस्वी, राहुल गांधी) को दिया है। इस मुद्दे पर बिहार का सियासी पारा गर्माया हुआ है।
जातीय जनगणना का श्रेय लेने की होड़ के बीच जीतनराम मांझी ने तेजस्वी यादव से पूछा है कि तीस साल पहले बिहार और केंद्र में किसकी सरकार थी।
केंद्र सरकार ने बुधवार को एक बड़े फैसले में आगामी जनगणना प्रक्रिया में ‘पारदर्शी’ तरीके से जाति गणना को शामिल करने का फैसला किया।
BJP sharp retort to Congress: केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा है कि कांग्रेस ऐतिहासिक रूप से जातिगत आरक्षण के खिलाफ रही है। अगर महात्मा गांधी या फिर बाबा साहेब आंबेडकर नहीं होते तो देश में आरक्षण की व्यवस्था ही नहीं होती।