Hindi Newsदेश न्यूज़1931 caste census date how much obc brahim and rajput all details

आखिरी बार हुई जाति जनगणना में कितने थे ओबीसी, ब्राह्मणों और राजपूतों की क्या थी आबादी

आखिरी बार 1931 में जाति जनगणना हुई थी। तब आज के पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत का हिस्सा हुआ करते थे। ब्रिटिश इंडिया में हुई इस जाति जनगणना में ओबीसी जातियों की आबादी 52 फीसदी पाई गई थी, जबकि देश भर की जनसंख्या उस वक्त 27 करोड़ थी। इसी के आधार पर मंडल कमीशन ने सिफारिशें दी थीं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तानFri, 2 May 2025 04:22 PM
share Share
Follow Us on
आखिरी बार हुई जाति जनगणना में कितने थे ओबीसी, ब्राह्मणों और राजपूतों की क्या थी आबादी

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में जाति जनगणना कराने का फैसला लिया है। इस बार होने वाली जनगणना में सभी लोगों को जाति का कॉलम भी भरना होगा। इसके आधार पर ही यह डेटा निकाला जाएगा कि देश और प्रांतों में किस जाति के कितने लोग हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इससे सामाजिक आंकड़ा सही निकलेगा और फिर उसके मुताबिक नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। देश में इससे पहले आखिरी बार 1931 में जाति जनगणना हुई थी। तब आज के पाकिस्तान और बांग्लादेश भी भारत का हिस्सा हुआ करते थे। ब्रिटिश इंडिया में हुई इस जाति जनगणना में ओबीसी जातियों की आबादी 52 फीसदी पाई गई थी, जबकि देश भर की जनसंख्या उस वक्त 27 करोड़ थी। इसी के आधार पर मंडल कमीशन ने सिफारिशें दी थीं।

जातिवार बात की जाए तो पूरे ब्रिटिश इंडिया में सबसे अधिक आबादी ब्राह्मणों की थी, जो डेढ़ करोड़ से ज्यादा थे। इसके बाद दूसरा स्थान जाटव समुदाय का था, जो संख्या में 1 करोड़ 23 लाख से थोड़े ज्यादा थे। वहीं तीसरे स्थान पर राजपूत थे, जिनकी आबादी 81 लाख थी। तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र की कुनबी जाति थी, जिन्हें आज ओबीसी कैटिगरी में रखा गया है। उनकी आबादी 64 लाख 34 हजार थी। वहीं यादव (अहीर) समाज के लोगों की संख्या 56 लाख 82 हजार थी। इसके बाद स्थान तेली बिरादरी का था, जिनकी आबादी 42 लाख 58 हजार पाई गई थी। वहीं ग्वाला की आबादी 40 लाख से ज्यादा थी।

यहां यह बता दें कि ग्वाला भी यादव समुदाय की ही एक उपजाति है। इस तरह से यदि इसे भी यादव में ही जोड़ दिया जाए तो उनकी कुल संख्या 96 लाख हो जाती है। इस लिहाज से वे ब्राह्मण और जाटव के बाद पूरे देश में तीसरे सबसे बड़े समुदाय थे। इनके बाद कायस्थ, कुर्मी, और कुम्हार थे। अब यदि राज्यवार बात करें तो महाराष्ट्र यानी तब के बॉम्बे प्रेसिडेंसी में कुनबी समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा 64 लाख थी। इनमें मराठा भी शामिल थे। इसके बाद यूपी में जाटव की आबादी 63 लाख थी। तब यूपी को उत्तर प्रदेश नहीं बल्कि संयुक्त प्रांत कहा जाता था और आज का उत्तराखंड भी इसका हिस्सा हुआ करता था।

ये भी पढ़ें:'बंटेंगे तो कटेंगे' की जगह अब क्य नारा होगा? जाति जनगणना पर RJD ने BJP को घेरा
ये भी पढ़ें:जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मायावती ने बीजेपी-कांग्रेस दोनों को घेरा, क्या बोलीं?
ये भी पढ़ें:आरक्षण पर SC की 50% वाली व्यवस्था का हो सकता है अंत,जाति जनगणना से खुलेगा रास्ता

बिहार और ओडिशा में यादवों की आबादी थी सबसे ज्यादा

बिहार और ओडिशा में ग्वाला समुदाय यानी यादवों की आबादी 34 लाख थी। मद्रास में ब्राह्मण सबसे ज्यादा 14 लाख थे। इसके बाद असम में कायस्थ, मैसुरू में वोक्कालिगा, राजूपताना एजेंसी यानी वर्तमान राजस्थान के क्षेत्र में ब्राह्मणों की अच्छी आबादी थी और 8 लाख से अधिक थे। बता दें कि कई राजनीतिक दलों का कहना है कि जाति जनगणना कराने से सामने आ जाएगा कि किसकी कितनी आबादी है और उसके हिसाब से नीतियां बनाने में मदद मिलेगी। माना जा रहा है कि इस आंकड़े के सामने आने से राजनीतिक समीकरण भी बदल सकते हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें