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आरएसएस का नकाब फिर उतरा; उसे संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए: राहुल गांधी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने उनके बयान को लेकर पलटवार करते हुए एक्स पर पोस्ट किया, ‘आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है।’

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 27 June 2025 08:34 PM
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आरएसएस का नकाब फिर उतरा; उसे संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए: राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर शुक्रवार को निशाना साधा। आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों की समीक्षा करने संबंधी बयान दिया। इसे लेकर राहुल ने आरोप लगाया कि आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया है। उसे संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘आरएसएस का नकाब फिर से उतर गया। संविधान इन्हें चुभता है क्योंकि वो समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय की बात करता है।’

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राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘आरएसएस-भाजपा को संविधान नहीं, मनुस्मृति चाहिए। ये बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीनकर उन्हें दोबारा गुलाम बनाना चाहते हैं। संविधान जैसा ताकतवर हथियार उनसे छीनना इनका असली एजेंडा है।’ कांग्रेस नेता ने कहा कि आरएसएस ये सपना देखना बंद करे क्योंकि उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया, ‘हर देशभक्त भारतीय आखिरी दम तक संविधान की रक्षा करेगा।’

दत्तात्रेय होसबाले ने क्या कहा

आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था, ‘बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे। आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए।’ उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर बाद में चर्चा हुई लेकिन प्रस्तावना से उन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। होसबोले ने कहा, ‘इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।’

जयराम रमेश भी हुए हमलावर

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। इसने 30 नवंबर 1949 के बाद से डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू और इसके निर्माण में शामिल अन्य लोगों पर निशाना साधा। आरएसएस के अपने शब्दों में संविधान मनुस्मृति से प्रेरित नहीं था।’ उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और भाजपा ने बार-बार नए संविधान का आह्वान किया है। जयराम रमेश ने कहा, ‘ वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में यही प्रधानमंत्री मोदी का चुनावी नारा था। लेकिन भारत की जनता ने इस नारे को निर्णायक रूप से खारिज कर दिया। फिर भी, संविधान के मूल ढांचे को बदलने की मांग लगातार आरएसएस के तंत्र की ओर से की जाती रही है।’

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