Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़There should be a consideration on removing the word secularism from the constitution, Shivraj Singh

ये हमारी संस्कृति का मूल नहीं, संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाने पर विचार हो- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह

उन्होंने इसे हटाए जाने के पक्ष में समर्थन करते हुए कहा- भारत का मूल भाव सर्वधर्म समभाव है। धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है। इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया, उसको हटाया जाए।

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, भोपालFri, 27 June 2025 07:46 PM
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ये हमारी संस्कृति का मूल नहीं, संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द हटाने पर विचार हो- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह

संविधान से धर्मनिरपेक्षता शब्द को हटाने या बनाए रखने की बहस में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने इसे हटाए जाने के पक्ष में समर्थन करते हुए कहा- भारत का मूल भाव सर्वधर्म समभाव है। धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है। इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया, उसको हटाया जाए।

मामा शिवराज ने ऐसे रखी अपनी बात

देश के मौजूद कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुलकर अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा भारत का मूल भाव सर्वधर्म समभाव का है। ये भारत है जिसने आज से हजारों साल पहले कहा- 'एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति' यानी सत्य एक है, लेकिन विद्वान इसे अलग-अलग तरीके से कहते हैं। ये भारत है जो कहता है, 'मुंडे-मुंडे मते भिन्ना' यानी अलग- अलग भाव का आदर करने वाला, उपासना पद्धति कोई भी हो।

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ये हमारी संस्कृति का मूल नहीं

इन उदाहरणों के जरिए अपनी बात रखते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम रहे मामा शिवराज ने कहा कि सर्वधर्म समभाव भारतीय संस्कृति का मूल है। धर्मनिरपेक्ष हमारी संस्कृति का मूल नहीं है। इसलिए इस पर जरूर विचार होना चाहिए कि आपातकाल में जिस धर्मनिरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया, उसे जरूर हटाया जाए।

ये BJP-RSS की सोची समझी साजिश- कांग्रेस

कृषि मंत्री के बयान पर कांग्रेस का रिएक्शन सामने आया है। कांग्रेस ने कहा- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का ये बयान BJP-RSS की उसी सोची समझी साजिश का नतीजा है, जिसमें वे बाबा साहेब के संविधान को खत्म करना चाहते हैं। पहले RSS के महासचिव ने यही बयान दिया और अब मोदी सरकार के मंत्री वही राग अलाप रहे हैं। लेकिन वे याद रखें- बाबा साहेब का दिया संविधान भारत की आत्मा है। हम हर कीमत पर संविधान की रक्षा करेंगे। ये जो चाहें कर लें, हम इनके मंसूबों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे।

यहां से शुरू हुई बहस

दरअसल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में बड़ा नाम और पहचान रखने वाले दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द इमरजेंसी के दौरान जोड़े गए हैं। ये मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे, जो भीमराव अंबेडकर ने तैयार किया था। उन्होंने इमरजेंसी को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इसे संविधान में रखना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए।

पहले भी उठ चुका मामला

आपको बताते चलें कि इस तरह की मांग पहले भी हो चुकी है, जब लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में इन शब्दों को हटाने के लिए याचिका लगाई थी। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। उस समय मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा था- इन शब्दों को संविधान में 42वें संशोधन के जरिए साल 1976 में जोड़ा गया है, जो कि संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है। इसलिए इसे हटाया नहीं जा सकता है।

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