Hindi Newsदेश न्यूज़Election Commission implementing NRC in secret way, this is cruel joke Owaisi also got angry After Mamata, Tejashwi

गुप्त तरीके से NRC लागू कर रहा EC, ये क्रूर मजाक... वोटर लिस्ट रिवीजन पर बढ़ा विवाद; ओवैसी भी कूदे

वोटर लिस्ट संशोधन में मतदाता बनने या राज्य के बाहर से आने वाले आवेदकों को यह शपथ-पत्र देना होगा कि उनका जन्म एक जुलाई, 1987 से पहले भारत में हुआ था और जन्म तिथि और/या जन्म स्थान को प्रमाणित करने वाला कोई भी दस्तावेज़ देना होगा।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 June 2025 07:49 PM
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गुप्त तरीके से NRC लागू कर रहा EC, ये क्रूर मजाक... वोटर लिस्ट रिवीजन पर बढ़ा विवाद; ओवैसी भी कूदे

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची में गहन पुनरीक्षण के प्रस्ताव का भारी विरोध हो रहा है। सबसे पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था और इसे NRC लागू करने के समान बताया था। उसके बाद तेजस्वी यादव समेत इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने भी चुनाव आयोग के इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। अब हैदराबाद से सांसद और AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसका विरोध किया है और इसे बिहार के गरीब, पिछड़े लोगों के लिए क्रूर मजाक बताया है।

ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर इस पर अपनी बात रखी। उन्होंने लिखा है, "निर्वाचन आयोग बिहार में गुप्त तरीक़े से एनआरसी लागू कर रहा है। वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने के लिए अब हर नागरिक को दस्तावेज़ों के ज़रिए साबित करना होगा कि वह कब और कहाँ पैदा हुए थे, और साथ ही यह भी कि उनके माता-पिता कब और कहाँ पैदा हुए थे। विश्वसनीय अनुमानों के अनुसार भी केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं। ज़्यादातर सरकारी कागज़ों में भारी ग़लतियाँ होती हैं।"

जो लोग मुश्किल से दो बार खा पाते हैं, वो कागजात कहां से लाएंगे?

उन्होंने आगे लिखा है, “बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र के लोग सबसे ग़रीब हैं; वे मुश्किल से दिन में दो बार खाना खा पाते हैं। ऐसे में उनसे यह अपेक्षा करना कि उनके पास अपने माता-पिता के दस्तावेज़ होंगे, एक क्रूर मज़ाक़ है। इस प्रक्रिया का परिणाम यह होगा कि बिहार के ग़रीबों की बड़ी संख्या को वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा। वोटर लिस्ट में अपना नाम भर्ती करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में ही ऐसी मनमानी प्रक्रियाओं पर सख़्त सवाल उठाए थे। चुनाव के इतने क़रीब इस तरह की कार्रवाई शुरू करने से लोगों का निर्वाचन आयोग पर भरोसा कमज़ोर हो जाएगा।”

इंडिया अलायंस ने भी खोला मोर्चा

दूसरी तरफ, बिहार में विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन ने राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची में गहन पुनरीक्षण के प्रस्ताव का शुक्रवार को कड़ा विरोध किया। पटना में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में राजद नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा और भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य सहित अन्य नेताओं ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का विरोध किया जाएगा।

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तेजस्वी यादव ने दी चुनौती

पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया, ‘‘हमें संदेह है कि इस कवायद का उद्देश्य, जिसमें मतदाताओं से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं जो बहुत कम लोगों के पास हो सकते हैं, बड़ी संख्या में लोगों को मताधिकार से वंचित करना है, विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों को।’’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘एक बार जब नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे, तो अगला कदम इन लोगों को सामाजिक कल्याण योजनाओं के लाभ से वंचित करना हो सकता है।’’ तेजस्वी ने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग के लिए सिर्फ 25 दिनों में इतनी बड़ी कवायद करना असंभव है, जैसा कि उसने प्रस्तावित किया है। अगर वास्तव में यह संभव है, तो मैं केंद्र को चुनौती देता हूं कि वह दो महीने के भीतर जाति जनगणना कराए।’’

बता दें कि दो दिन पहले ही निर्वाचन आयोग की तरफ से कहा गया था कि बिहार के बाद, इस वर्ष के अंत तक उन पांच राज्यों में भी मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा जहां 2026 में चुनाव होने हैं। ताकि "मतदाता सूचियों की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन" किया जा सके। गहन समीक्षा के तहत, चुनाव अधिकारी त्रुटिरहित मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे।

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