पारदर्शिता कोई एहसान नहीं, संवैधानिक दायित्व है; चुनाव आयोग पर कांग्रेस का नया हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में धांधली के आरोप लगाए थे। अब कांग्रेस पार्टी ने ईसी पर नया हमला बोलते हुए कहा कि पारदर्शिता एहसान नहीं, संवैधानिक दायित्व है।

कांग्रेस ने एक बार फिर निर्वाचन आयोग पर हमला बोलते हुए कहा है कि आयोग की विश्वसनीयता खतरे में है और उसे सभी उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए, क्योंकि पारदर्शिता कोई एहसान नहीं बल्कि संवैधानिक जिम्मेदारी है। पार्टी ने खासतौर पर महाराष्ट्र और हरियाणा की मतदाता सूचियों को सार्वजनिक करने की मांग की है, ताकि चुनाव प्रक्रिया में भरोसा बना रहे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में धांधली के आरोप लगाए थे। इस पर निर्वाचन आयोग ने जवाब दिया है कि 2009, 2014, 2019 और 2024 के चुनावों के लिए मतदाता सूचियां कांग्रेस और अन्य दलों को समय पर दी गई थीं और वे वेबसाइट पर मुफ्त में डाउनलोड के लिए भी उपलब्ध हैं। महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने बताया कि 22 मई को कांग्रेस सांसद के सामने यह स्थिति दोहराई गई थी।
राहुल गांधी ने की तारीख की मांग
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की इस पहल को "पहला अच्छा कदम" बताया लेकिन साथ ही यह भी पूछा कि डेटा डिजिटल और मशीन-रीडेबल फॉर्मेट में कब उपलब्ध होगा? उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर यह सवाल उठाया।
खरगे का बयान: पारदर्शिता जरूरी
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी का लेख चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग की ओर से जो जवाबी पत्र सामने आया है, उसकी प्रामाणिकता संदिग्ध है। उन्होंने कहा, "पारदर्शिता कोई दया नहीं है, यह संवैधानिक दायित्व है।" लोकतंत्र अंधेरे में चलने वाली प्रक्रियाओं और अपुष्ट आंकड़ों पर नहीं चल सकता।
कांग्रेस की मांगें
2024 लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की डिजिटल और मशीन-पठनीय मतदाता सूची सार्वजनिक की जाए। चुनाव के दिन शाम 5 बजे के बाद के सभी मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक की जाए। पार्टी की विशेष समिति ने बताया कि कांग्रेस नवंबर 2024 से महाराष्ट्र में मतदाता सूचियों में गड़बड़ियों को लेकर चिंतित रही है और इस पर अब तक स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।