पुरी रथ यात्रा के दौरान 700 से ज्यादा लोगों की तबीयत बिगड़ी, कई ICU में भर्ती
ओडिशा के पुरी में शुक्रवार को रथ यात्रा उत्सव का मुख्य भाग शुरू होने के साथ ही हजारों लोगों ने भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के रथों से जुड़ी रस्सियों को श्री गुंडिचा मंदिर की ओर खींचा।

विश्व प्रसिद्ध पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 का आयोजन शुक्रवार, 27 जून को भारी उत्साह और भक्ति के साथ शुरू हुआ। लाखों श्रद्धालू भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को खींचने के लिए पुरी की सड़कों पर उमड़ पड़े। हालांकि, इस भव्य आयोजन के दौरान भीषण गर्मी और अत्यधिक भीड़ के कारण स्वास्थ्य आपात स्थिति उत्पन्न हुई, जिसमें 750 से अधिक लोग बीमार पड़ गए और 12 लोगों को गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती करना पड़ा।
पुरी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) डॉ. किशोर सतपथी ने बताया कि कई लोगों ने मामूली चोटें, उल्टी और बेहोशी की शिकायत की है और इसका मुख्य कारण भीड़भाड़ की स्थिति थी। उन्होंने कहा, ‘‘अधिकांश लोगों को ओपीडी में प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। कोई हताहत नहीं हुआ।’’
70 लोगों का इलाज चल रहा है
ओडिशा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि श्रद्धालुओं के बीमार होने का मुख्य कारण अत्यधिक गर्मी और उमस है। एक अधिकारी ने बताया कि पुरी के जिला मुख्यालय अस्पताल में करीब 70 लोगों का इलाज चल रहा है, जिनमें से नौ की हालत गंभीर बताई गई है।
इस बीच, सूत्रों ने दावा किया कि बालागंडी क्षेत्र के पास कई लोग घायल हो गए, जहां भगवान बलभद्र का रथ, तलध्वज, एक घंटे से अधिक समय तक फंसा रहा। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘लंबे समय तक रथ के रुके रहने के कारण वहां भीड़ जमा हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग फंस गए और भीड़भाड़ वाले क्षेत्र से बाहर निकलने की कोशिश करते समय घायल हो गए।’’
पुरी जिला मजिस्ट्रेट सिद्धार्थ स्वैन ने बताया कि रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए व्यापक तैयारियां की गई थीं। रथों को गुंडिचा मंदिर तक ले जाने के लिए निर्धारित स्थान पर लाया गया था। सुरक्षा के लिए 10,000 से अधिक पुलिस कर्मियों और एनएसजी की तैनाती की गई थी, साथ ही एआई कैमरों का उपयोग भी किया गया।
रथ यात्रा का धार्मिक महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को विशाल रथों में गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह यात्रा आस्था, भक्ति और एकता का प्रतीक है। इस वर्ष यात्रा का शुभारंभ 27 जून को सुबह 6 बजे मंगला आरती के साथ हुआ, जिसके बाद विभिन्न अनुष्ठान जैसे मेलम, तड़पालगी, रोशा होम, और सूर्य पूजा संपन्न हुई। रथ यात्रा के दौरान गजपति राजा द्वारा छेरा पनहरा अनुष्ठान किया गया, जिसमें रथों की प्रतीकात्मक सफाई की जाती है। इसके बाद दोपहर 4 बजे से रथ खींचने की प्रक्रिया शुरू हुई।
(इनपुट एजेंसी)