Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Maharashtra government opened treasury for temples, Rs 3000 crore will be spent

महाराष्ट्र सरकार ने मंदिरों के लिए खोला खजाना, खर्च होंगे 3000 करोड़ रुपये

यह निर्णय 6 मई को अहिल्यानगर में आयोजित राज्य कैबिनेट बैठक में लिया गया था और रानी की 300वीं जयंती के मद्देनज़र इसे विशेष महत्व दिया जा रहा है। यह परियोजना तीन वर्षों में पूरी की जानी है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईThu, 29 May 2025 05:53 AM
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महाराष्ट्र सरकार ने मंदिरों के लिए खोला खजाना, खर्च होंगे 3000 करोड़ रुपये

महाराष्ट्र सरकार ने मंदिरों के लिए खजाना खोल दिया है। बुधवार को 2,954 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न स्मारकों और मंदिरों के संरक्षण और विकास योजनाओं को मंजूरी दे दी। इनमें से कई योजनाएं राज्य के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों से जुड़ी हैं और आने वाले वर्षों में उनके कायाकल्प का रास्ता प्रशस्त करेंगी। अठारहवीं शताब्दी की वीरांगना रानी अहिल्यादेवी होल्कर की जन्मस्थली चौंडी (अहिल्यानगर) में बने स्मारक के संरक्षण और विकास के लिए 681.3 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी गई है।

यह निर्णय 6 मई को अहिल्यानगर में आयोजित राज्य कैबिनेट बैठक में लिया गया था और रानी की 300वीं जयंती के मद्देनज़र इसे विशेष महत्व दिया जा रहा है। यह परियोजना तीन वर्षों में पूरी की जानी है।

उसी कैबिनेट बैठक में राज्य के सात प्रमुख तीर्थ स्थलों के लिए 5,503 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं को मंजूरी दी गई थी। इनमें अष्टविनायक मंदिर योजना – ₹147.8 करोड़, तुलजाभवानी मंदिर योजना – ₹1,865 करोड़, ज्योतिबा मंदिर योजना (कोल्हापुर) – ₹259.6 करोड़, त्र्यंबकेश्वर मंदिर योजना – ₹275 करोड़, महालक्ष्मी मंदिर योजना (कोल्हापुर) – ₹1,445 करोड़ और महुरगढ़ विकास योजना – ₹829 करोड़ शामिल है।

1. अष्टविनायक मंदिर योजना (₹147.8 करोड़)

इस योजना के तहत ₹100 करोड़ मंदिरों के जीर्णोद्धार और ₹47.4 करोड़ विद्युतिकरण, प्रकाश व्यवस्था व वास्तु परामर्श पर खर्च किए जाएंगे।

यह योजना भक्तों की सुविधा और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाई गई है।

2. तुलजापुर का तुलजाभवानी मंदिर (₹1,865 करोड़)

राज्य सरकार ने इस ऐतिहासिक मंदिर के लिए एक विस्तृत योजना को मंजूरी दी है जिसमें मूल स्थापत्य शैली को संरक्षित रखने के निर्देश भी शामिल हैं।

यह मंदिर विशेष रूप से नवरात्रि उत्सव के दौरान लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

3. ज्योतिबा मंदिर, कोल्हापुर (₹259.6 करोड़)

इस योजना में मंदिर परिसर और आसपास की झीलों के संरक्षण और सौंदर्यीकरण का प्रावधान है। परियोजना को 31 मार्च 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब राज्य सरकार लगातार राजकोषीय घाटे और कर्ज के बोझ से जूझ रही है। इसके बावजूद, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण के नाम पर इन योजनाओं को राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि इन योजनाओं से धार्मिक पर्यटन, स्थानीय रोजगार और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण सुनिश्चित होगा।

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