गूगल मैप पर लोकेशन डाली और... नागपुर की 'जासूस' ने कैसे पार किया भारत-पाक बॉर्डर? पुलिस ने बताया
नागपुर की सुनीता जामगड़े ने गूगल मैप्स की मदद से कारगिल में नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान में अवैध प्रवेश किया। पुलिस ने जासूसी के आरोप में उसे गिरफ्तार किया और जांच जारी है।

महाराष्ट्र के नागपुर की एक 43 वर्षीय महिला, सुनीता जामगड़े ने गूगल मैप्स की मदद से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर पाकिस्तान में अवैध रूप से प्रवेश किया था। यह सनसनीखेज घटना पिछले महीने लद्दाख के कारगिल जिले के हुंदरमन गांव में हुई, जिसने सुरक्षा एजेंसियों और स्थानीय पुलिस को चौंका दिया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, सुनीता ने पूछताछ के दौरान दावा किया कि उसने गूगल मैप्स का इस्तेमाल कर सीमा पार करने का रास्ता खोजा।
सुनीता ने पूछताछ के दौरान बताया कि उसने पाकिस्तान का रास्ता खोजने के लिए गूगल मैप्स का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, कपिल नगर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर, सतीश आडे ने कहा कि सुनीता के डिवाइस पर एक संदिग्ध मोबाइल एप्लिकेशन इंस्टॉल पाया गया। अभी तक, ऐप को ओपन नहीं गया है, क्योंकि जांचकर्ता इसके उद्देश्य या संभावित जोखिमों के बारे में अनिश्चित हैं। फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, और पुलिस यह भी जांच कर रही है कि डिवाइस में कोई चिप लगाई गई है या नहीं।
क्या है पूरा मामला?
सुनीता जामगड़े पहले एक नर्स के रूप में काम कर चुकी है। वह वर्तमान में घर-घर जाकर कपड़े बेचती है। वह 4 मई को अपने 12 वर्षीय बेटे के साथ नागपुर से अमृतसर के लिए रवाना हुई। 14 मई को, उसने कारगिल के हुंदरमन गांव से सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश किया। यह गांव नियंत्रण रेखा के करीब अंतिम भारतीय बस्ती है। इस दौरान सुनीता ने अपने बेटे को एक स्थानीय होटल में छोड़ दिया था।
पाकिस्तानी रेंजर्स ने सुनीता को सीमा पार करने के तुरंत बाद हिरासत में ले लिया। नौ दिनों तक पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा पूछताछ के बाद, 23 मई को उसे अटारी-वाघा सीमा पर एक फ्लैग मीटिंग के दौरान भारतीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सौंप दिया गया। इसके बाद, अमृतसर ग्रामीण पुलिस ने उसके खिलाफ ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत एक जीरो एफआईआर दर्ज की और मामला नागपुर पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया।
जासूसी के आरोप और जांच
नागपुर पुलिस ने सुनीता को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया है और उसकी हिरासत 2 जून तक थी, जिसके बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस और खुफिया एजेंसियां उसके पाकिस्तानी संपर्कों, विशेष रूप से दो व्यक्तियों जुल्फिकार और एक अनाम "पादरी" के साथ उसके संबंधों की जांच कर रही हैं। शुरुआती जांच में उसके फोन में कुछ संदेश मिले हैं, जो व्यक्तिगत संबंधों से परे संदिग्ध गतिविधियों की ओर इशारा करते हैं।
सुनीता ने पूछताछ में दावा किया कि वह पाकिस्तान में एक अस्पताल में नौकरी की तलाश में गई थी ताकि वह अपने बेटे के साथ नागपुर लौट सके। हालांकि, उसके बार-बार बदलते बयानों ने पुलिस का संदेह बढ़ा दिया है। महिला ने यह भी कहा कि वह पहले भूटान और नेपाल की यात्रा कर चुकी थी, जहां वीजा की आवश्यकता नहीं थी, और उसे लगा कि पाकिस्तान के लिए भी ऐसा ही होगा।
पहले भी किए प्रयास
यह पहली बार नहीं है जब सुनीता ने पाकिस्तान में प्रवेश करने की कोशिश की। मार्च 2025 में, उसे अटारी सीमा पर बीएसएफ ने रोका था, तब अधिकारियों ने उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए उसे वापस भेज दिया था। इस बार, हालांकि, उसकी गतिविधियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुनीता के 12 वर्षीय बेटे को, जिसे उन्होंने हुंदरमन गांव के एक होटल में छोड़ दिया था, बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की देखरेख में रखा गया था। उसे अब नागपुर वापस लाया गया है और उसका बयान दर्ज किया गया है। बच्चे ने बताया कि परिवार पहले भूटान और नेपाल की छुट्टियों के लिए यात्रा कर चुका था।
सुरक्षा चिंताएं और जांच
यह घटना भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति के बीच हुई है। सुनीता की गतिविधियों ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए कई सवाल खड़े किए हैं, जैसे कि इतनी सख्त निगरानी के बावजूद वह नियंत्रण रेखा को कैसे पार कर सकी। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या उसे कारगिल में किसी स्थानीय सहायता मिली थी।
नागपुर पुलिस के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (जोन V) निकेतन कदम ने कहा, "हमें यह सत्यापित करने की आवश्यकता है कि क्या वह जासूसी या किसी अन्य गैरकानूनी गतिविधि में शामिल थी।" खुफिया एजेंसियों ने अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं पाया है कि सुनीता ने संवेदनशील जानकारी साझा की थी, लेकिन उनकी अचानक और असामान्य यात्रा ने संदेह को और गहरा कर दिया है।