शराब घोटाला: कारोबारी सिंघानिया ने कबूला, हर कार्टून पर 300-600 की वसूली; विनय चौबे को दी 50 करोड़ की घूस
सिंघानिया ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे इस घोटाले के मुख्य केंद्र बिंदु थे। शराब के हर कार्टून पर 300 से 600 रुपये तक की अवैध वसूली की गई। इस पूरे रैकेट से विनय चौबे को लगभग 40 से 50 करोड़ रुपये की अवैध घूस दी गई।

झारखंड उत्पाद घोटाले की जांच में एक बड़ा और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया है। पुलिस हिरासत में कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया के दिए गए बयान ने घोटाले की जड़ तक पहुंचने का संकेत दे दिए हैं। सिंघानिया ने आरोप लगाया है कि तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे इस घोटाले के मुख्य केंद्र बिंदु थे। शराब के हर कार्टून पर 300 से 600 रुपये तक की अवैध वसूली की गई। इस पूरे रैकेट से विनय चौबे को लगभग 40 से 50 करोड़ रुपये की अवैध घूस दी गई।
पुलिस को दिए गए सिंघानिया के बयान के मुताबिक, चौबे ने छत्तीसगढ़ के शराब मॉडल को झारखंड में लागू कराने की साजिश रची और इसमें उनके साथ अरुण पति त्रिपाठी भी शामिल थे, जिन्हें जानबूझकर सीएसएमसीएल (छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम) के माध्यम से सलाहकार के रूप में जोड़ा गया। ऐसा करने से झारखंड में एफएल-10 थोक लाइसेंस नीति लागू की गई, जिससे छत्तीसगढ़ की एजेंसियों और डिस्टिलरियों को अनुचित लाभ मिला।
इन डिस्टिलरियों से आपूर्ति की गई शराब के हर कार्टून पर 300 से 600 रुपये तक की अवैध वसूली की गई। सिंघानिया के मुताबिक, इस पूरे रैकेट से विनय चौबे को लगभग 40 से 50 करोड़ रुपये की अवैध घूस दी गई, जो त्रिपाठी के माध्यम से उन तक पहुंचाई गई। घोटाले की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि टेंडर की शर्तों को जानबूझकर एक विशेष सिंडिकेट को फायदा पहुंचाने के लिए बदला गया।
पूरी योजना चौबे की निगरानी में संचालित हुई, जिससे झारखंड की उत्पाद व्यवस्था को कथित तौर पर एक मुनाफे की मशीन में बदल दिया गया। सिंघानिया का बयान जांच एजेंसियों के लिए एक अहम मोड़ साबित हो रहा है और अब विनय चौबे इस पूरे मामले के केंद्र में आ चुके हैं। फिलहाल मामले की जांच जारी है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
एसीबी ने बुधवार को रायपुर के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया से पूछताछ में प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए उगाही के साथ-साथ टेंडर हासिल करने में अनुचित तरीके से नियम डालने में तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे की भूमिका पर सवाल पूछे। साथ ही अवैध तरीके से उगाही की राशि व प्लेमसेंट एजेंसियों को काम मिलने के बदले पैसों के लेन-देने का साक्ष्य जुटाने में भी एसीबी लगी थी।
इससे पहले प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए हर दुकान में मैनपावर सप्लाई में अपने लोगों को रखकर वसूली व एमआरपी से अधिक शराब बिक्री में उगाही से जुड़े सवाल एसीबी ने पूछे। प्लेसमेंट एजेंसियों को छद्म तरीके से चलाने के विषय में भी एसीबी ने सवाल पूछे। रायपुर के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया की भूमिका के बारे में मार्शन इनोवेटिव के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह ने रिमांड के दौरान जानकारी दी थी।