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ईरान का यूरेनियम भंडार कहां है? अमेरिका के हमलों के बाद भी क्यों उठ रहे सवाल

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने कहा कि इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष से वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था के ध्वस्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। उन्होंने इस संकट को हल करने के लिए कूटनीति की जरूरत पर बल दिया।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानMon, 23 June 2025 09:36 PM
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ईरान का यूरेनियम भंडार कहां है? अमेरिका के हमलों के बाद भी क्यों उठ रहे सवाल

अमेरिकी हमलों के बाद ईरान के यूरेनियम भंडार को लेकर सवाल उठ रहे हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को तहस-नहस कर दिया है। लेकिन, अधिकारियों का कहना है कि अभी प्रभाव का आकलन करना जल्दबाजी होगी। रविवार को बी-2 स्टील्थ बमवर्षकों की ओर से किए गए हमलों में ईरान के तीन परमाणु ठिकानों (इस्फहान, फोर्डो और नतांज) को निशाना बनाया गया। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान के 60 प्रतिशत तक संवर्धित यूरेनियम के भंडार पर चिंता जताई है, जिसकी मात्रा 408.6 किलोग्राम है। यह 9 से अधिक परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त हो सकता है।

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ईरान के इस यूरेनियम भंडार का ठिकाना अज्ञात है, जिसे छोटे कनस्तरों में आसानी से ले जाया जा सकता है। आईएईए प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने सोमवार को ईरान के परमाणु स्थलों तक पहुंच की मांग की, ताकि इस भंडार का हिसाब लगाया जा सके। हमलों से पहले, 13 जून को ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने परमाणु सामग्री की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय लागू करने की घोषणा की थी। विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान की भंडारण क्षमता को नष्ट करना मुश्किल है, क्योंकि कुछ सेंट्रीफ्यूज अज्ञात स्थानों पर हो सकते हैं। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि ट्रंप प्रशासन आने वाले हफ्तों में इस यूरेनियम से निपटेगा।

ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता पर सवाल

हमलों के बाद ईरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता और प्रसार जोखिमों पर सवाल बने हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि 60 प्रतिशत संवर्धित यूरेनियम और कुछ सेंट्रीफ्यूज के साथ ईरान अभी भी हथियार बनाने में सक्षम हो सकता है। आईएईए ने पहले कहा था कि ईरान में व्यवस्थित परमाणु हथियार कार्यक्रम का कोई संकेत नहीं है, लेकिन अब निरीक्षण की कमी से वैश्विक अप्रसार व्यवस्था खतरे में है। ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हटने की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे वह गुप्त रूप से परमाणु कार्यक्रम विकसित कर सकता है। उत्तर कोरिया ने साल 2003 में ऐसा ही किया था।

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