मुस्लिम देशों का सबसे बड़ा संगठन फिसड्डी; ईरान को दिखाया ठेंगा, हर मोर्चे पर रहा है नाकाम
इस्लामिक देशों का सबसे बड़ा संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉरपोरेशन, OIC इन दिनों सवालों के घेरे में आ गया है। ईरान पर हुए बड़े हमले के बाद भी संगठन की निष्क्रियता हैरान करने वाली है।

Organisation of Islamic Cooperation: दुनियाभर में मुसलमानों के अधिकारों की रक्षा के लिए बना संगठन इन दिनों सवालों के घेरे में आ गया है। ईरान पर हुए हालिया हमले के बाद ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉरपोरेशन यानी OIC की निष्क्रियता एक बार फिर उजागर हो गई है। गाजा में 50 हजार से ज्यादा मौतों और चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर समुदाय पर सालों से हो रहे अत्याचार के बाद हालिया वाकया पर OIC की चुप्पी को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि OIC एक विफल निकाय है और संगठन किसी की मदद करने की स्थिति में नहीं है।
गौरतलब है कि इस्लामिक सहयोग संगठन 57 मुस्लिम बहुल देशों और 1.9 बिलियन आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद इसकी क्षमता पर सवाल खड़े हुए हैं। CNN न्यूज 18 की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया, “यह मुस्लिम समुदाय के लिए एक आंख खोलने वाली बात है। यह दर्शाता है कि OIC एक विफल निकाय है और उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। संगठन विफलता से जूझ रहा है।"
खल रही OIC की चुप्पी
रिपोर्ट में यह भी कहा है कि OIC गाजा में हुए नरसंहार और उइगरों के उत्पीड़न पर चुप्पी साधे रहा, और अब ईरान को भी कुछ नहीं मिला है। ऐसे में संकट के समय वह मुस्लिम हितों की रक्षा करने में पूरी तरह नाकाम रहा है। बता दें कि ईरान पर हुए अमेरिकी हमले के बाद OIC ने एक बयान जारी किया था। हालांकि इसमें अमेरिका का कहीं नाम नहीं लिया गया।
क्यों नाकाम रहा है OIC?
रिपोर्ट के मुताबिक OIC की एक बड़ी खामी इसकी फैसला लेने की प्रणाली है। संगठन आम सहमति पर काम करता है। हालांकि अधिकतर मामलों में देशों की राय बंटी होती है। इसके अलावा इन देशों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भी हावी हो जाती है, जिससे समूह कोई भी निर्णय नहीं ले पाता।
उदाहरण के लिए OIC के कई सदस्य देशों के अमेरिका और यूरोप के साथ गहरे संबंध हैं। यूएई, बहरीन और तुर्किये जैसे देशों के इजरायल के साथ संबंध बेहतर करने में जुटे हैं। ऐसे में गाजा पर इजरायली आक्रमण के बाद भी मुस्लिम देश इजरायल के साथ खुलकर शत्रुता नहीं दिखा सकते। यही कारण है कि समूह ने 2023 से, इजरायल के खिलाफ़ 31 से अधिक प्रस्ताव पारित किए हैं लेकिन ये सभी प्रस्ताव अप्रभावी बने हुए हैं। वहीं चीन पर आर्थिक निर्भरता होने की वजह से OIC उइगर समुदाय पर हो रहे अत्याचार पर भी चुप्पी साधे हुए है।
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