Hindi Newsविदेश न्यूज़Khawaja Asif hybrid government statement raising eyebrows in Pakistan after asim munir lunch with donald trump

ड्राइविंग सीट पर मुनीर, सेना-सरकार का हाइब्रिड सिस्टम; पाकिस्तान में अपनी ही सरकार पर उठे सवाल

अमेरिका में मुनीर के लंच के बाद पाकिस्तान की खूब किरकिरी हो रही है। अब पाकिस्तान में सेना और सरकार के गठजोड़ पर सवाल उठने लगा है। पाकिस्तानी मीडिया में इसकी खासी आलोचना हो रही है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने इसको लेकर सवाल उठाया है।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, इस्लामाबादSat, 21 June 2025 02:09 PM
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ड्राइविंग सीट पर मुनीर, सेना-सरकार का हाइब्रिड सिस्टम; पाकिस्तान में अपनी ही सरकार पर उठे सवाल

पाकिस्तान में सेना और सरकार के गठजोड़ पर सवाल उठने लगा है। पाकिस्तानी मीडिया में इसकी खासी आलोचना हो रही है। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने इसको लेकर सवाल उठाया है। गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल असीम मुनरो के पिछले दिनों अमेरिकी प्रेसीडेंट ट्रंप के साथ लंच करने गए थे। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इसकी तारीफ की थी। उन्होंने इसे हाइब्रिड सिस्टम बताते हुए ट्वीट भी किया था। इसको लेकर ख्वाजा आसिफ घिरते नजर आ रहे हैं। सेना और सरकार के गठजोड़ की तारीफ करने पर पाकिस्तानी रक्षा मंत्री को अपने ही देश में आड़े हाथों लिया जा रहा है।

मीडिया में उठा सवाल
इस बीच डॉन अखबार ने अपने संपादकीप में मंत्री के इस बयान पर सवाल उठाए हैं। अखबार ने लिखा है कि मंत्री इस मॉडल की तारीफ ऐसे कर रहे हैं मानो यह कोई सम्मान वाली बात हो। ख्वाजा आसिफ ने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा था कि पाकिस्तान की बेहतर होती हालत इस्लामाबाद और रावलपिंडी के बीच बेहतर संबंधों का नतीजा है। गौरतलब है कि इस्लामाबाद पाकिस्तान की राजधानी है और रावलपिंडी सेना मुख्यालय। इसके बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा का विषय बन गया। लोगों ने ख्वाजा आसिफ की बातों के मतलब निकालने शुरू कर दिए। कुछ लोगों तो यहां तक पूछा कि क्या यह बात उस व्यक्ति ने कही है, जिसकी पार्टी ने कुछ वक्त पहले सिविलियन सुप्रीमेसी का नारा बुलंद किया था।

90 के दशक का हवाला
पाकिस्तानी रक्षामंत्री ने अरब न्यूज के साथ इंटरव्यू में भी इस हाइब्रिड सरकार की तारीफ की है। उन्होंने कहाकि भले ही यह आदर्श लोकतांत्रिक सरकार न हो, लेकिन यह चमत्कार कर रही है। आर्थिक और अन्य समस्याओं को देखते हुए उन्होंने इसे पाकिस्तान के लिए आदर्श सरकार बताया। ख्वाजा आसिफ ने यहां तक कह डाला कि अगर ऐसा मॉडल 1990 के दशक में अपनाया गया होता- जिसमें नवाज शरीफ के दो बार प्रधानमंत्री रहे, तो चीजें बहुत बेहतर होतीं। उन्होंने कहाकि सेना और राजनीतिक सरकार के बीच टकराव लोकतंत्र की प्रगति को रोकता है।

स्वार्थ सिद्ध कर रहीं पार्टियां
अब पाकिस्तान के विश्लेषक वहां के रक्षामंत्री की बातों के मायने निकाल रहे हैं। डॉक्टर रसूल बख्श रईस ने डॉन से कहाकि असल में यह देश की तीसरी हाइब्रिड सरकार है। उन्होंने कहाकि फर्क यह है कि जनरल जियाउल हक और जनरल मुशर्रफ ने प्रमुख पार्टियों का उपभोग करके राजनीतिक मोर्चे बनाए। इस बार दो प्रमुख पार्टियों ने स्वेच्छा से राजनीतिक मुखौटे का काम किया है। डॉक्टर रईस इसके पीछे की वजहें भी बताते हैं। उन्होंने कहाकि सेना का साथ देकर पीएमएल-एन और पीपीपी अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं। पहले तो वह अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों से छुटकारा चाहते हैं। साथ ही इमरान खान के रूप में एक उभरते हुए विरोधी को भी दबाने में कामयाब हो रहे हैं। उन्होंने कहाकि यह सब मिलकर इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई को उभरने नहीं देना चाहते हैं।

विश्लेषक भी हैं हैरान
पाकिस्तानी विश्लेषक भी ट्रंप और मुनीर की मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की गैरमौजूदगी से हैरान हैं। डॉक्टर रसूल बख्श रईस ने कहाकि शाहबाज शरीफ की यहां न होने से तमाम चीजों से पर्दा हट गया है। दुनिया के सामने अब यह स्पष्ट हो चुका है कि ताकत के केंद्र में कौन है। पूरा कंट्रोल किसके हाथ में है। लेकिन एक दूसरे राजनीतिक पर्यवेक्षक, अहमद बिलाल महबूब के शब्दों में, आसिफ पहले व्यक्ति नहीं हैं जिन्होंने ‘हाइब्रिड सरकार की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहाकि इमरान खान ने महत्वपूर्ण निर्णयों जैसे- मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति और बजट के पारित होने में सेना की भूमिका को बार-बार स्वीकार किया।

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