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अमेरिका पर अटैक को तैयार बैठे हैं ईरानी 'स्लीपर सेल', G7 समिट में ट्रंप को मिली थी धमकी

ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले ने युद्ध को और भड़का दिया है। इस बीच खुफिया रिपोर्ट सामने आई है कि इन हमलों से पहले जब ट्रंप जी7 समिट के लिए कनाडा में थे, उन्हें ईरानी स्लीपर सेल द्वारा अमेरिका भर में हमले की धमकी मिली थी।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तानMon, 23 June 2025 05:29 PM
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अमेरिका पर अटैक को तैयार बैठे हैं ईरानी 'स्लीपर सेल', G7 समिट में ट्रंप को मिली थी धमकी

Iranian Sleeper Cells: ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी सेना द्वारा किए गए भीषण हवाई हमलों ने ईरान-इजरायल युद्ध को और भयावह कर दिया है। खुफिया रिपोर्ट है कि ईरान ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इन हमलों से पहले एक गंभीर चेतावनी दी थी कि यदि अमेरिका ने युद्ध में हस्तक्षेप किया, तो अमेरिका के भीतर 'स्लीपर सेल' ऐक्टिव किए जा सकते हैं। ट्रंप को यह संदेश कनाडा में हुए जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान एक मध्यस्थ के माध्यम से पहुंचाया गया था। यह जानकारी NBC और अन्य स्वतंत्र रिपोर्टों में सामने आई है।

क्या होते हैं 'स्लीपर सेल'?

‘स्लीपर सेल’ वे गुप्त एजेंट होते हैं जो किसी देश में सामान्य जीवन जीते हैं और गुप्त रूप से जासूसी, हमला या तोड़फोड़ करने के लिए तैयार रहते हैं। ये बाहरी तौर पर किसी आम नागरिक की तरह जीवन बिताते हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इन्हें सक्रिय किया जाता है। रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका में ईरान समर्थित हिज़बुल्लाह संगठन से जुड़े संभावित स्लीपर सेल पहले से मौजूद हैं

अमेरिका में चौकसी

वाइट हाउस और संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) अब पूरी तरह सतर्क है। अमेरिकी सीमा सुरक्षा विभाग (सीबीपी) ने कहा है कि “ईरानी स्लीपर सेल्स का ख़तरा पहले से कहीं अधिक है।” हालांकि फिलहाल तक किसी ठोस साजिश का प्रमाण नहीं मिला है, लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि “हज़ारों ईरानी नागरिकों को हाल के महीनों में अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करते हुए दर्ज किया गया है।”

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हमले से पहले निगरानी

एफबीआई प्रमुख काश पटेल ने हमले से पहले ही अमेरिका में मौजूद संभावित ईरानी एजेंटों की गुप्त निगरानी के आदेश दे दिए थे। यह निर्णय उस समय लिया गया जब ईरान ने अमेरिका को चेतावनी दी कि यदि युद्ध में घसीटा गया, तो जवाब अमेरिका के अंदर से भी मिल सकता है।

अमेरिका का जवाबी हमला

शनिवार को अमेरिका ने फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान स्थित ईरान के तीन प्रमुख यूरेनियम संवर्धन केंद्रों पर हमले किए। यह हमला बंकर-भेदी बमवर्षकों और मिसाइलों के माध्यम से किया गया और इसे अमेरिकी सेना ने "पूरी तरह सफल" बताया।

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