ईरान को दिया था दो हफ्ते का अल्टीमेटम, फिर दो दिन में ही क्यों कूद पड़े ट्रंप? इनसाइड स्टोरी
Iran Israel War update: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध के बीच शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान से दो हफ्तों में बातचीत की टेबल पर आने या अमेरिका गुस्से का सामना करने का अल्टीमेटम दिया था। लेकिन ट्रंप ने दो दिन बाद ही ईरान पर हमला बोल दिया।

ईरान और अमेरिका में जारी जंग के बीच शुक्रवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी थी कि वह अमेरिकी सैन्य कार्रवाई से बचने के लिए दो हफ्ते में अपनी गलती सुधार ले और बातचीत की टेबल पर आ जाए। ईरान की तरफ से अमेरिका की जगह यूरोपीय संघ से बातचीत की जा रही थी। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि आखिर पिछले दो दिनों में ऐसा क्या हुआ कि ईरान को दो हफ्तों का समय देने वाले ट्रंप ने दो दिनों के अंदर ही तेहरान के परमाणु ठिकानों पर बमबारी कर दी।
ईरान के ऊपर किए गए अमेरिका ऐक्शन को लेकर एक्सियोस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्किए के राष्ट्रपति एद्रोगान की तरफ से दिए गए प्रस्ताव को लेकर ट्रंप ईरान में जमीनी सेना भेजने का फैसला करने से पहले अमेरिका और ईरानी अधिकारियों के बीच में बातचीत के विकल्प पर विचार कर रहे थे। एर्दोगन की तरफ से यह प्रस्ताव ट्रंप को जी-7 की बैठक के दौरान मिला था। इसके अलावा ट्रंप को ईरान की तरफ बैक चैनल वार्ता के संकेत भी मिले थे।
रिपोर्ट के मुताबिक तुर्किए के राष्ट्रपति की तरफ से दिए गए इस प्रस्ताव पर ट्रंप न केवल बातचीत करने के लिए तैयार हो गए बल्कि उन्होंने इसके लिए उपराष्ट्रपति जेडी वैंस और व्हाइट हाउस के दूत स्टीव विटकॉफ को भी भेजने की तैयारी कर ली थी। यहां तक की वह खुद भी इस वार्ता में शामिल होने के लिए तैयार थे। इसी दौरान उन्होंने ईरान को दो हफ्तों का अल्टीमेटम भी दे दिया था।
एर्दोगन ने इस प्रस्ताव के बारे में ईरानी राष्ट्रपति पेजशिकयान और विदेश मंत्री अब्बास अराघची से भी बात की। कथित तौर पर दोनों ने जब इस बारे में सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई से बात करने की कोशिश की तो ऐसा करना संभव नहीं हो सका। ईरानी अधिकारियों ने इस बात की जानकारी तुर्किए तक पहुंचा दी और ठीक उसी समय तुर्किए ने अमेरिका को सूचित कर दिया कि अब ईरान वार्ता के लिए उपलब्ध नहीं है।
बैठक रद्द होने के बाद भी एर्दोगन ने इस्तांबुल में अराघची से मुलाकात की और उनसे अमेरिका के साथ बातचीत करने का आग्रह किया। इसके अलावा उन्होंने इस बात का आश्वासन भी दिया कि तुर्किए इसके लिए व्यवस्था करने को तैयार है।
हालांकि बैठक रद्द होने की बात का पता चलते ही ट्रंप ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की तैयार कर ली और मिसौरी एयरबेस पर खड़े विमानों को अनुमति दे दी। यहां से बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स रवाना हुए और उन्होंने एक के बाद एक ईरान के फार्डो, नतांज और एस्फाहान परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।