इस जनगणना से प्रगति के द्वार खुलेंगे
देश में जनगणना कराने की अधिसूचना केंद्र सरकार ने जारी कर दी है। 16 जून को जारी अधिसूचना में गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी। मंत्रालय ने सोमवार को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना…

देश में जनगणना कराने की अधिसूचना केंद्र सरकार ने जारी कर दी है। 16 जून को जारी अधिसूचना में गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि जनगणना वर्ष 2027 के दौरान की जाएगी। मंत्रालय ने सोमवार को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना और जातीय जनगणना से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी। इससे प्रगति की दिशा में काम करने में सुविधा होगी। वैसे तो भारत में जनगणना हर 10 साल बाद होती है, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से जनगणना टल रही थी, लेकिन अब अधिसूचना जारी होने के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि आबादी की गिनती का काम जल्द शुरू हो जाएगा। देश में दो चरणों में जनगणना होगी। कोरोना महामारी की विभीषिका के कारण तय समय पर जनगणना टल गई थी और अब 2025 में इसकी शुरुआत होने जा रही है।
इस बार जनगणना की प्रक्रिया दो चरण में होगी, जिसका पहला चरण 01 अक्तूबर, 2026 तक पूरा किया जाएगा। जबकि दूसरा और अंतिम चरण 1 मार्च, 2027 तक पूरा होगा। इसी तारीख को रेफरेंस डेट माना जाएगा, यानी उस समय देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा, वही रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा और फिर ये आंकड़े सार्वजनिक कर दिए जाएंगे, जिसे आप भी जान सकेंगे। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में जनगणना की प्रक्रिया अन्य राज्यों से पहले अक्तूबर 2026 तक पूरी कर ली जाएगी। इन राज्यों के लिए 1 अक्तूबर, 2026 को रेफरेंस डेट माना जाएगा। इसके बाद लोकसभा और विधानसभा की सीटों का सिलसिलेवार परिसीमन 2028 तक होगा। इस दौरान महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण भी लागू किया जा सकता है। यानी 2029 के लोकसभा चुनाव से पहलेे महिलाओं के लिए आरक्षण की तस्वीर साफ हो सकती है। इस बार की जनगणना में जाति और संप्रदाय से जुड़े सवाल भी शामिल किए जा सकते हैं। डिजिटल गणना के लिए सॉफ्टवेयर में जाति, उप-जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए नए कॉलम और मेन्यू शामिल किए जाएंगे।
जनगणना में इस बार नए तरीके से कराने की योजना है। पहली बार जनगणना डिजिटल मोड में होगी। यानी, कागज-कलम की जरूरत खत्म। अब टैब और लैपटॉप में ही सारे कॉलम होंगे, जिन्हें जनगणना कर्मी खुद भरेंगे। इस तरह देश की ताजा सामाजिक, आर्थिक स्थिति का पता सटीक तरीके से चल पाएगा। इससे सामाजिक विषमता की खाई भरने के लिए योजनाएं बनाने में सरकारों को सुविधा हुआ करेगी। इस तरह हमलोगों को इस जनगणना का स्वागत करना ही चाहिए।
यूसुफ अली, टिप्पणीकार
देरी और कमियों को दूर करना जरूरी
देश में नई जनगणना की अधिसूचना जारी हो चुकी है। अब अगले दो वर्षों में पूरे देश में लोगों की गिनती कर ली जाएगी। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में कई खामियां और कमियां हैं, जो हमारे समाज को गर्त में धकेल सकती हैं। इस बार की जनगणना में जाति के आधार पर लोगों को गिना जाएगा। देश में पहले से ही जातिवाद हावी है। ऐसे में जातियों की संख्या की गिनती सार्वजनिक करके जातिवादी समूहों को और मजबूत बनाने का काम इस जनगणना से होगा। वैसे तो सभी धर्मों में अलग-अलग जातियों की गिनती की जाएगी, लेकिन इसमें सबसे अधिक नुकसान हिंदू समुदाय का होने वाला है। हिंदू धार्मिक समुदाय में न केवल वर्ण व्यवस्था है, बल्कि यहां अस्पृश्यता का दानव भी मौजूद है। अब तक अलग- अलग जातियों की संख्या पता नहीं होने के कारण जाति के आधार पर देश को बांटने वाले समूहों के पास कोई चारा नहीं होता था और थक-हारकर राष्ट्रीय चरित्र के अनुरूप ही राजनीति करने पर विवश हो जाते थे। लेकिन अब उन्हें जातियों की संख्या का ठीक-ठीक आंकड़ा पता चल जाएगा। सारा देश जाति की संकीर्ण राजनीति में ही उलझकर रह जाएगा। दिखावे के तौर पर सब यही कह रहे हैं कि जातियों की संख्या पता होने से उनके कल्याण के लिए योजनाएं बनाने में सहूलियत होंगी। लेकिन यह एक थोथी दलील है, क्योंकि कल्याण की योजनाएं बनाने के लिए सरकारों को किसने अब तक रोका है? क्या आज जो देश की आबादी है, उसके आधार पर योजनाएं नहीं बनाई जा सकती हैं? ऐसा हो सकता है। मगर जाति गणना का असल मकसद कुछ और ही खेल करना है, जिसमें जातिवादी शक्तियां सफल हो गई लगती हैं।
इसके अलावा, इस बार की जनगणना मे काफी देर भी हुई है। पिछले लगभग 150 साल से जो जनगणना अपने समय पर चलती आ रही थी, चाहे वह विश्व युद्ध हो या अन्य कोई संकट, कभी रुकी नहीं। वह इस बार कोरोना महामारी के नाम पर 2021 में नहीं कराई गई। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि 2022 में इसे अलग तरीके से कराया जा सकता था। अब तो चार साल की देरी से अधिसूचना जारी हुई है और गणना होते-होते 2027 आ जाएगा। इस तरह सात साल की देरी हो जाएगी। संशय इस बात को लेकर भी है कि क्या अगली जनगणना समय से हो सकेगी? कहा तो जा रहा है कि अगली बार 2035 में जनगणना होगी। लेकिन इसे तो 2031 में ही होना चाहिए। इसमें संशय इस बात पर है कि सरकार 2035 का समय भी टाल दे और अगली बार सीधे 2041 में जनगणना कराए। सरकार को इसके बारे में स्पष्ट बताना चाहिए।
सुज्ञान चंद, टिप्पणीकार
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