बिहार में 29 जून को फिर सियासी संडे, चिराग पासवान राजगीर तो उपेंद्र कुशवाहा गयाजी में गरजेंगे
बिहार में इस महीने फिर से सियासी संडे होने वाला है। 29 जून, रविवार को चिराग पासवान की राजगीर, तो उपेंद्र कुशवाहा की गयाजी में रैली होने वाली है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर एनडीए के घटक दलों के नेता रैलियां कर अपने सहयोगियों की चिंता बढ़ा रहे हैं। जून महीने में एक बार फिर सियासी संडे होने वाला है। 29 जून को केंद्रीय मंत्री एवं लोजपा-रामविलास के मुखिया चिराग पासवान और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा अलग-अलग रैलियां करने वाले हैं। चिराग नालंदा जिले के राजगीर, तो कुशवाहा गयाजी में अपनी-अपनी पार्टी की जनसभाओं को संबोधित करेंगे। पिछले रविवार (8 जून) को भी चिराग की आरा, तो कुशवाहा की मुजफ्फरपुर में रैली हुई थी।
एलजेपी-आर के जमुई से सांसद अरुण भारती ने बुधवार को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ऐलान किया कि उनकी पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान रविवार, 29 जून को राजगीर में बहुजन भीम संकल्प समागम करेंगे। यह कार्यक्रम राजगीर हॉकी मैदान के निकट स्टेट गेस्ट हाउस में होगा। अरुण भारती, चिराग के जीजा हैं। उन्होंने कहा, “बहुजन अब किसी की भी B टीम नहीं बनेगा। अबकी बार न झांसे में आएगा, न झुकेगा। बहुजन भीम संकल्प समागम में चिराग पासवान वह हुंकार देंगे, जो सियासत के नकली ठेकेदारों की चूलें हिला देगी।”
वहीं, उपेंद्र कुशवाहा भी इसी दिन गयाजी के गांधी मैदान में संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली को संबोधित करेंगे। यहां से वे समूचे मगध क्षेत्र को साधेंगे। आरएलएम के महासचिव रामपुकार सिन्हा ने कुशवाहा की आगामी रैली में 25 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं के शामिल होने का दावा किया है। इसमें मगध क्षेत्र के विभिन्न जिलों के पार्टी वर्कर मौजूद रहेंगे। बता दें कि कुशवाहा इससे पहले शाहाबाद और उत्तर बिहार में भी ऐसी ही रैलियां कर चुके हैं।
सीट बंटवारे से पहले बीजेपी-जेडीयू को ताकत दिखा रहे सहयोगी
बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में संभावित हैं। सत्ताधारी एनडीए गठबंधन में बीजेपी, जेडीयू के अलावा चिराग की एलजेपी-आर, कुशवाहा की आरएलएम और जीतनराम मांझी की हम पार्टी शामिल है। एनडीए में अभी सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय होना बाकी है। इससे पहले घटक दलों के नेता बीजेपी और जेडीयू को अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। चिराग और कुशवाहा की इन रैलियों को सीट बंटवारे से पहले शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। चिराग पासवान तो केंद्र की राजनीति छोड़ बिहार आकर विधानसभा चुनाव लड़ने का संकेत भी दे चुके हैं।